अध्यात्म

Karwa Chauth 2019 : जानें कब है करवा चौथ और इस व्रत से जुड़ी कथा

इस साल 17 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत आ रहा है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और माता की पूजा कर उनसे अपने पति की लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना करती हैं। करवा चौथ का व्रत रखने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है और मां की पूजा करने के दौरान इस कथा को जरूर पढ़ा जाता है। तो आइए जानिए करवा चौथ की कथा…

करवा चौथ की व्रत कथा

एक ब्राह्मण के सात पुत्र और वीरावती नामक एक पुत्री थी। ये ब्राह्मण अपनी पुत्री से बेहद ही प्यार किया करता था। अपनी बेटी के बड़े होने के बाद इस ब्राह्मण ने उसकी शादी एक योग्य वर से करवा दी। अपनी पुत्री के अलावा इस ब्राह्मण ने अपने सातों बेटों का विवाह भी करवा दिया था। वहीं विवाह होने के बाद वीरावती ने अपना पहला करवा चौथ का व्रत अपनी भाभियों के साथ रखा था। लेकिन वीरावती भूख के मारे बेहोश हो गई। अपनी बहन को बेहोश होता देख उसके सातों भाई परेशान हो गए।

अपनी बहन को होश में लाकर सातों भाईयों ने उससे व्रत तोड़ने को कहा। लेकिन वीरावती ने चांद देखने के बाद ही अपना व्रत तोड़ने की बात कही। वीरावती की तबीयत खराब होती देख वीरावती का एक भाई पेड़ के पीछे चले गया और वहां एक मशाल जला दी। अन्य भाईयों ने वीरावती से कहा कि चांद निकल आया है और वीरावती ने उस मशाल को चांद समझकर अपना व्रत विधिपूर्वक तोड़ दिया। वहीं उसी रात वीरावती के पति की मृत्यु हो गई।

अपने पति की मृत्यु होने पर वीरावती बेहद ही दुखी हो गई और उसने अन्न-जल का त्याग कर दिया और भगवान से अपने पति के प्राण वापस मांगे। वीरावती को दुखी देख इंद्राणी पृथ्वी पर आई और उन्होंने वीरावती को बताया कि उसने चंद्रोदय होने से पहले ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया था। इसलिए उसके पति की मृत्यु हो गई।

अपनी इस भूल के लिए वीरावती ने इंद्राणी से क्षमा मांगी और उनसे इस भूल को सही करने का उपाय पूछा। इंद्राणी ने वीरावती को कहा कि वो फिर से ये व्रत अच्छे से करें। ऐसा करने से उसका पति पुनर्जीवित हो जाएगा। इंद्राणी की बात को मानते हुए वीरावती ने विधिपूर्वक करवा चौथ का व्रत रखा। जिससे इंद्राणी ने प्रसन्न होकर वीरावती के पति को जीवनदान दे दिया। तभी से ये व्रत और प्रचलित हो गया और महिलाओं द्वारा ये व्रत रखे जाने लगा।  करवा चौथ के दिन महिलाओं द्वारा वीरावती की ही कथा पढ़ी जाती है और मां से अपने पति की लंबी आयु की कामना की जाती है।

वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि द्रौपदी ने एक बार अर्जुन की रक्षा करने हेतु भगवान कृष्ण से मदद मांगी थी और भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने को कहा था। इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि मां पार्वती ने एक बार शिव जी की रक्षा करने के लिए ये व्रत रखा था।

इस तरह से रखा जाता है ये व्रत

करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत होता है और इस दिन महिलाओं द्वारा सूर्योदय होने से पहले सरगी खाई जाती है। सरगी खाने के बाद किसी भी चीज का सेवन नहीं किया जाता है और चांद को अर्घ्य देने का बाद पति के हाथों से पानी पीकर ये व्रत तोड़ा जाता है।

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