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आखिर नवरात्रि में लोग क्यों करते हैं लहसुन और प्याज से परहेज? पीछे है हैरान कर देने वाली वजह

भगवान को भोग लगाने के लिए अक्सर मिठाई और फलों का इस्तेमाल किया जाता है. जब भी भगवान के पूजा-पाठ की बात आती है तो लहसुन और प्याज को उनसे दूर ही रखा जाता है. इन दिनों नवरात्र चल रहे हैं और आपने देखा होगा कि नवरात्रि में कई लोग तो लहसुन और प्याज का भी सेवन नहीं करते. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा आखिर क्यों होता है? हम दावा करते हैं कि बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि ऐसा क्यों होता है. बाकी लोग बस इतना जानते हैं कि ऐसा नहीं करना चाहिये. जब भी भगवान को भोग लगाने की बारी आती है तो हम उन्हें सात्विक भोजन ही खिलाते हैं ताकि कोई पाप न हो और धर्म भ्रष्ट न हो. नवरात्रि में तो प्याज और लहसुन खाने की सख्त मनाही होती है. आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि आखिर भगवान को लहसुन और प्याज का भोग क्यों नहीं लगाया जाता है.

इस वजह से नवरात्रि में नहीं खाते हैं प्याज और लहसुन

बता दें,  भगवान को लहसुन और प्याज का भोग इसलिए नहीं लगाते हैं क्योंकि शास्त्रों में इसे सात्विक नहीं माना जाता. शास्त्रों में कहा गया है कि लहसुन और प्याज का सेवन करने से व्यक्ति को गुस्सा जल्दी आता है और वह राक्षसी प्रवृति का हो जाता है. इसलिए नवरात्रि में कुछ लोग तो अपने भोजन में भी लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करते. इतना ही नहीं वह इसे अपवित्र समझते हैं और उनका मानना होता है कि इसे खाकर वह भी अपवित्र हो जाएंगे. मान्यता तो यहां तक है कि इसे ग्रहण करने से घर में अशांति और नकरात्मकता पैदा होने लगती है. आपका दिमाग हमेशा नकरात्मक बातें सोचने लगता है. इसी कारण से हम नवरात्रि में माता लक्ष्मी को लहसुन और प्याज का भोग नहीं लगाते.

पौराणिक कथा भी जुड़ी है साथ

भगवान को लहसुन और प्याज का भोग न लगाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है. कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय राहु और केतु ने धोखे से अमृत पी लिया था. जैसे ही यह बात भगवान विष्णु को पता चली तो उन्होंने दोनों के सिर धड़ से अलग कर दिए. लेकिन अमृत पीने के कारण वो सिर से जिंदा ही थे यानी मर कर भी वो नहीं मरे थे. कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ने दोनों का सिर काटा तो रक्त की बूदें जमीन पर गिरी और उन्हीं बूंदों से प्याज और लहसुन बने.

हालांकि स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो लहसुन और प्याज के बेशुमार फायदे हैं. इनमें रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है क्योंकि इनका निर्माण अमृत से हुआ था. लेकिन राक्षस से उत्पन्न होने के कारण इसे भगवान को नहीं चढ़ाया जाता. वहीं, कुछ लोगों की मानें तो लहसुन और प्याज के इस्तेमाल से व्यक्ति का मन पूजा-पाठ से भटकने लगता है.

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