अध्यात्म

जानें कौन हैं विश्वकर्मा भगवान और क्यों की जाती है इनकी पूजा

आज पूरे देश में विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है। विश्वकर्मा जयंती के दिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है। विश्वकर्मा भगवान को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है और इन्हें दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। विश्वकर्मा जी द्वारा कई भव्य मंदिरों और भगवानों की मूर्तियों का निर्माण किया गया है।

आखिर कौन हैं विश्वकर्मा जी

विश्वकर्मा जी का जिक्र हमें स्कंद पुराण और ऋगवेद में मिलता है। ऋगवेद में इनका वर्णन 11 ऋचाएं में किया गया है और पुराणों में लिखे गए एक श्लोक के अनुसार इनका परिचय देते हुए कहा गया है कि ये भगवानों के शिल्पकार थे।

श्लोक और श्लोक का अर्थ

‘बृहस्पते भगिनी भुवना ब्रह्मवादिनी।

प्रभासस्य तस्य भार्या बसूनामष्टमस्य च।

विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापति’

इस श्लोक में लिखा गया है कि महर्षि अंगिरा की बेटी भुवना ब्रह्मविद्या का विवाह आठवें वसु महर्षि प्रभास के साथ हुआ था। इन दोनों को जो संतान हुई थी उसका नाम इन्होंने विश्वकर्मा रखा था। विश्वकर्मा जी एक शिल्पकार थे और इन्हें शिल्पकारों और रचनाकारों का ईष्ट देव माना जाता है।

पूजा करने से मिलता है विशेष लाभ

ऐसा कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है और विश्वकर्मा जंयती पर कारोबारी और व्यवसायी को विश्वकर्मा की पूजा जरूर करनी चाहिए। इनकी पूजा करने से कार्य में तरक्की मिलती है।

माने जाते हैं शिव के अवतार

ऐसी मान्यता है कि ये भगवान शिव के अवतार हैं और विश्वकर्मा के 5 स्वरुपों हैं । विश्वकर्मा के ये पांच अवतारों के नाम इस प्रकार हैं, विराट विश्वकर्मा ,धर्मवंशी विश्वकर्मा ( महान शिल्प विज्ञान विधाता प्रभात पुत्र), अंगिरावंशी विश्वकर्मा ( आदि विज्ञान विधाता वसु पुत्र),  सुधन्वा विश्वकर्मा ( महान शिल्पाचार्य) , विज्ञान जन्मदाता ऋषि अथवी के पुत्र, भृंगुवंशी विश्वकर्मा ( शुक्राचार्य के पुत्र)।

किया है इन चीजों का निर्माण

भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी के नाम से भी जाना जाता है और इनके द्वारा कई प्रसिद्ध चीजों का निर्माण किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि रावण की सोने की लंका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था और सोने की लंका इनके द्वारा ही बनाई थी। लंका के अलावा स्वर्गलोक का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने किया था। हमारे पुराणों के अनुसार इन्होंने सतयुग में स्वर्गलोक का निर्माण किया था, त्रेतायुग में सोने की लंका का निर्माण किया था, द्वापर में द्वारिका का निर्माण किया था और कलियुग में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्तियों का निर्माण का निर्माण किया था। इसके अलावा इन्होंने यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी और सुदामापुरी जैसी जगहों का भी निर्माण किया था।

17 सितंबर को है विश्वकर्मा जयंती

इस साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती आ रही है और इस दिन लोगों द्वारा विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। विश्वकर्मा की पूजा करने के साथ ही इस दिन व्यापारी या शिल्पकार अपने औजारों की पूजा भी करते हैं। इस दिन औजारों का प्रयोग नहीं किया जाता है। आज विश्वकर्मा जी की पूजा करने का सबसे शुभ समय सुबह 7 बजकर 2 मिनट का है। इस समय पूजा आरंभ करना उत्तम होगा।

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