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गणेश विसर्जन के दौरान पलटी नाव, पानी में डूबे 18 लोग, जाने फिर क्या हुआ

2 सितंबर को शुरू हुआ गणेश उत्सव कल 12 सितंबर को समाप्त हो गया. दस दिनों तक चले इस महोत्सव की देशभर में धूम दिखाई दी. जैसा कि नियम हैं, लोग पहले दिन गणेशजी को धूमधाम से विराजित करते हैं और फिर दसवे दिन उनका विसर्जन किया जाता हैं. कल 12 सितंबर को भी देशभर में कई लोगो ने गनेह्जी विसर्जित किए. हालाँकि भोपाल में गणेश विसर्जन के दौरान एक बहुत बड़ा हादसा हो गया. दरअसल भक्तों का एक समूह नाव में गणेशजी विसर्जन के लिए ले जा रहे थे, तभी उनकी नाव पलट गई. आइए इस मामले को थोड़ा विस्तार से जानते हैं.

जानकारी के मुताबिक ये दिल दहला देने वाली घटना भोपाल की फेमस छोटी झील के खाटलापुरा घाट की हैं. ख़बरों की माने तो नाव के अंदर करीब 18 लोग सवार थे. इनमे से 11 लोगो की डूबने से मौत हो गई जिनके शव बरबाद कर लिए गए, जबकि पांच लोगो को बचा लिया गया. बाकि दो लोगो की तलाश अभी जारी हैं. ये हादसा आज शुक्रवार सुबह साढ़े चार बजे हुआ हैं. इस हादसे को लेकर मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने मजिस्ट्रेट को जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही घटना में लापरवाही बरतने वाले लोगो के खिलाफ कड़ी कारवाई के भी निर्देश हैं. उधर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का एलान किया हैं.

जानकारी के मुताबिक भक्तों का ये समूह जिस नाव से झील में जा रहा था वो आकार में बहुत छोटी थी. इस नाव के मुकाबले मूर्ति का आकार बड़ा था. ऊपर से नाव में बहुत ज्यादा लोग भी सवार हो गए थे. ऐसे में जब गणेशजी को विसर्जित करने के लिए नाव के किनारे से उतारा गया तो नाव एक तरफ झुक गई और पलट गई. इस कारण नाव में बैठे सभी 18 लोग डूब गए. खबर लिखने तक 11 लोगो को मृत हालत में जबकि 5 को जीवित अवस्था में बाहर निकाला गया हैं. मृतक पिपलानी के 1100 क्वार्टर के निवासी थे. हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन के लोग भी घटना स्थल पर मदद के लिए पहुँच गए. प्रदेश मंत्री पीसी शर्मा ने इस हादसे के प्रति दुःख जाहिर करते हुए कहा हैं कि इस बात का पता लगाने की कोशिश जारी हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण हादसा कैसे हुआ.

उधर भोपाल वासियों ने भी इस हादसे को लेकर दुःख प्रकट किया हैं. गौरतलब हैं कि हर साल गणेश उत्सव पर लोग विशाल मूर्तियाँ विराजित करते हैं. ऐसे में इन बड़ी मूर्तियों के विसर्जन हेतु उन्हें गहराई वाले पानी में नाव के माध्यम से जाना पड़ता हैं. हालाँकि ऐसा करते समय लोगो को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. साथ ही राज्य सरकार को इन बड़ी मूर्तियों के विसर्जन की उत्तम व्यवस्था भी करनी चाहिए. बरहाल इस पूरी घटना के बारे में आपकी क्या राय हैं हमें जरूर बताए.

वैसे हर साल की तरह इस साल भी कई शहरों में इको फ्रेंडली गणेशा यानी मिट्टी के गणेशा विराजित करने की मुहीम भी चलाई गई थी. हालाँकि बहुत कम लोग इस बात को समझते हैं. मिट्टी से बने गणेशजी आसानी से कम पानी में भी विलीन हो जाते हैं.

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