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बेहद ही प्रेरणादायक हैं इन 3 वैज्ञानिकों की कहानी, एक ने तो अनशन कर लिया था कॉलेज में दाखिला

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) दुनिया की जानी मानी अन्तरिक्ष एजेंसियों में से एक है। इसरो ने हाल ही के सालों में कई बड़े प्रोजेक्ट्स को सफल बनाया है और भारत की पहचान दुनिया भर में और मजबूत की है। चंद्रयान-2 इसरो का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है और इस मिशन में 99 प्रतिशत सफलता इसरो ने पाई है। वहीं इस मिशन के पीछे तीन लोगों की अहम भूमिका रही है जो कि इसरो प्रमुख के सिवन, मिशन डायरेक्टर ऋतु कारिधाल और प्रोजेक्ट डिप्टी डायरेक्टर, रेडियो फ्रीक्वेंसी चंद्रकांत है। आज हम आपको इन तीनों के जीवन की संघर्ष की कहानी बताने जा रहा हैं।

के.सिवन ने की थी सरकारी स्कूल से पढ़ाई

इसरो के प्रमुख के.सिवन एक गरीब परिवार से नाता रखते थे और वैज्ञानिक बनने के लिए इन्होंने खूब संघर्ष किया है। के.सिवन का जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के नागरकोईल में हुआ था और इन्होंने एक सरकारी स्कूल से पढ़ाई की हुई है। इनके पिता एक किसान हुआ करते थे और ये अपने पिता के साथ खेती भी किया करते थे। के.सिवन बेहद ही गरीब हुआ करते थे और ये नंगे पैर स्कूल जाया करते थे। के.सिवन गणित में बेहद ही तेज थे और इन्होंने 12 वीं कक्षा में गणित में 100% अंक हासिल किए थे।के.सिवन इंजीनियरिंग बनना चाहते थे और देश के सबसे बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेना चाहते थे। लेकिव के.सिवन के पिता ने इन्हें पास के कॉलेज में ही दाखिला लेने को कहा, ताकि वो पढ़ाई के साथ साथ खेतों में काम भी कर सकें। लेकिन सिवन ने अपने पिता की बात को स्वीकार नहीं किया और अनशन पर बैठ गए। अपने बेटे को अनशन में बैठा देख इनके पिता को समझ आ गया कि के.सिवन अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं और इनके पिता ने इनको इंजीनियरिंग करने के लिए चेन्नई भेज दिया। कहा जाता है कि के.सिवन ने 7 दिनों तक अनशन किया था। जिसके बाद इनके पिता ने इन्हें मद्रास इंस्टी‌ट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला लेने की आज्ञा दे दी थी।

ऋतु कारिधाल

ऋतु कारिधाल लखनऊ की रहने वाली हैं और ये भी एक साधारण परिवार से नाता रखती हैं। चंद्रयान-2 मिशन की डायरेक्टर ऋतु कारिधाल ने अपने स्कूल के फिजिक्स टीचर से प्रभावित होकर फिजिक्स में ग्रेजुएशन किया था। ग्रेजुएशन करने के बाद इन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पर आगे की पढ़ाई की। ऋतु कारिधाल ने चंद्रयान-2 के लिए ऑटोनॉमी सॉफ्टवेयर तैयार किया और ये  मंगल मिशन से भी जुड़ी हुई थी।

चंद्रकात

चंद्रकात का जन्म प. बंगाल के हुबली जिले में हुआ था और ये एक किसान परिवार से आते हैं। जन्म के वक्त इनका नाम सूर्यकांत रखा गया था। लेकिन जब ये स्कूल में दाखिल हुए तो इनके शिक्षक ने इन्हें चंद्रकांत नाम दे दिया। चंद्रयान-2 मिशन में चंद्रकात को कम्यूनिकेशन की जिम्मेदारी दी गई थी और इन्होंने ही चंद्रयान-2 से संपर्क करने वाले ग्राउंड स्टेशन का एंटीना सिस्टम डिजाइन किया है। चंद्रकांत द्वारा डिजाइन किए गए सिग्नल सिस्टम की वजह से ही धरती की सतह से 3 लाख 84 हजार किमी दूर ऑर्बिटर से सिग्नल इसरो को मिल पा रहे हैं।

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