अध्यात्म

बेहद ही चमत्कारी है ‘महामृत्युंजय मंत्र’, मात्र इसका जाप कर, दूर हो जाते हैं रोग

महामृत्युंजय मंत्र (mahamrityunjay mantra) बेहद ही चमत्कारी मंत्र होता है और इस मंत्र का जाप करने से कई तरह के रोग और अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है। महामृत्युंजय मंत्र शिव भगवान से जुड़ा हुआ है और जब हम इस मंत्र का जाप करते हैं तो शिव भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और हर मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जाप कोई भी व्यक्ति कर सकता है। ये मंत्र तीन तरह का होता है जो कि महा मृत्‍युंजय मंत्र (mahamrityunjay mantra), संपुटयुक्त महा मृत्‍युंजय मंत्र और लघु मृत्‍युंजय मंत्र के नाम से जाना जाता है।

इस प्रकार है मृत्युंजय मंत्र

mahamrityunjay mantra

|| महा मृत्‍युंजय मंत्र ||

ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!

||संपुटयुक्त महा मृत्‍युंजय मंत्र ||

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!

||लघु मृत्‍युंजय मंत्र ||

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ। किसी दुसरे के लिए जप करना हो तो-ॐ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ॐ.

सावधानी से करें मंत्र का जाप

mahamrityunjay mantra

मृत्युंजय मंत्र (mahamrityunjay mantra) का जाप करते हुए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए और इस मंत्र को विधि पूर्वक पढ़ना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से कुछ नियम जुड़े होते हैं और आप इन्हीं नियमों के आधार पर इस मंत्र का जाप करें और इस मंत्र का जाप करते समय नीचे बताई गई बातों को ध्यान में जरूर रखें।

  • मृत्युंजय मंत्र शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा जाता है। इसलिए आप इस मंत्र का जाप सोमवार के दिन ही शुरू करें। क्योंकि सोमवार का दिन शिव भगवान से जुड़ा हुआ होता है और शिव भगवान से जुड़ा ये मंत्र इसी दिन पढ़ना उत्तम होता है।
  • मृत्युंजय मंत्र (mahamrityunjay mantra) का जाप करते समय आप इस मंत्र के उच्चारण पर खासा ध्यान दें और इस मंत्र को सही से पढ़े। इस मंत्र के शब्दों को अगर गलत पढ़ा जाता है तो इस मंत्र का जाप करने से किसी भी तरह का लाभ आपको नहीं मिलता है। इसलिए ये बेहद ही जरूरी होता है कि जब आप मृत्युंजय मंत्र पढ़ें तो इस मंत्र का उच्चारण सही से करें। आप चाहें तो पहले इस मंत्र को सीख लें और उसके बाद इसका जाप करना शुरू करें।
  • मृत्युंजय मंत्र का जाप आप चाहें तो किसी पंडित से भी करवा सकते हैं। आप बस इस मंत्र के जाप के प्रथम दिन मृत्युंजय मंत्र तीन बार पढ़ लें और उसके बाद इस मंत्र का जाप पंडित से करवा लें। पंडित के अलावा आपके घर का सदस्य भी आपके लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • जिस दिन आपका ये जाप पूर्ण हो जाए आप अपने घर में हवन करा लें और भगवान शिव की पूजा भी करें। पूजा करते समय शिव भगवान से इस बात की क्षमा भी मांग लें कि अगर आपसे कोई गलती इस मंत्र को पढ़े हुए हुई है तो वो आपको माफ कर दें।
  • मृत्युंजय मंत्र (mahamrityunjay mantra) का जाप करते समय आप केवल रुद्रास की माला का ही प्रयोग करें और इसकी माला पर ही इस मंत्र का जाप करें। आप मोती या अन्य प्रकार की माला का इस्तेमाल भूलकर भी ना करें।
  • इस मंत्र का जाप आप किसी आसन पर बैठ कर करें। पहले दिन आप इस मंत्र को शिवलिंग के सामने बैठकर पढ़ सकते हैं। वहीं इस मंत्र का जाप करते समय अपने सामने घी का दीपक भी जरूर जला लें और जब भी इस मंत्र का जाप शुरू करें तो अपने मन में mahamrityunjay mantra का जाप आप क्यों कर रहे हैं वो कामान बोल दें।

निम्नलिखित स्थितियों में इस मंत्र का जाप किया जाता है

mahamrityunjay mantra

  • किसी महा रोग से पीड़ित होने पर इस मंत्र का जाप करना उत्तम रहता है।
  • लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति मृत्युंजय मंत्र का जाप करें तो वो स्वस्थ हो जाता है।
  • कोई मनोकामना पूर्ण करवाने हेतु भी इस मंत्र को पढ़ा जा सकता है।
  • मृत्युंजय मंत्र का जाप  पुत्र प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।
  • कुंडली में अकाल मृत्यु का योग बनने  पर आप इस मंत्र का जाप जरूर करें। इस मंत्र का जाप करने से आपके ऊपर आने वाला खतरा टल जाता है।
  • व्यापार या धन में हानि होने पर मत्युंजय मंत्र का जाप करना उत्तम माना जाता है और इस मंत्र का जाप करने से धन में वृद्धि हो जाती है।
  • घर में लड़ाई या क्लेश रहने पर इस मंत्र का जाप करें। ये मंत्र पढ़ाने से घर का माहौल सही हो जाता है और घर में क्लेश नहीं होता है।
  • जिन लोगों का मन हमेशा अशांत रहता है वो लोग भी मत्युंजय मंत्र का जाप करना शुरू कर दें।

कितनी बार करें इस मंत्र का जाप

  • जो लोग संतान या पुत्र पाने की चाह रखते हैं वो लोग इस मंत्र का जाप  सवा लाख बार करे।
  • किसी रोग से पीड़ित लोगों को इस मंत्र का जाप कम से कम 11000 बार करना चाहिए।
  • अकाल मृत्यु या फिर किसी समस्या से परेशान लोग इस मंत्र का जाप  सवा लाख बार ही करें।

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