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बाढ़ में डूबे ब्रिज पर एंबुलेंस के साथ 12 वर्षीय बच्चे ने किया ऐसा काम, आज मिल रहा है सम्मान

बच्चे मन के सच्चे होते हैं. वे बिना किसी स्वार्थ के भी दूसरों की मदद को हरदम तैयार रहते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे बहादुर बच्चे से मिलाने जा रहे हैं जिसकी बहादुरी के किस्से इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं. ये किस्सा कर्नाटक के रायचूर जिले के एक छोटे से गाँव हरियानकुंपे का हैं. इस गाँव में कुछ दिनों पहले बाढ़ जैसे हालत पैदा हो गए थे. पुरे गाँव में पानी इस कदर भर गया था कि कई लोगो को यहाँ से दुसरे गाँव शिफ्ट होना पड़ा. ऐसे में इस बाढ़ के माहोल में एक एंबुलेंस को ब्रिज से होते हुए रास्ता पार करना था. अब समस्यां ये थी कि एंबुलेंस वाला गाँव से अच्छे से परिचित नहीं था. ऊपर से रोड के ऊपर बहुत पानी भर गया था. ऐसे में उसे इस बात का डर था कि उसने गलत या खड्डे वाले रास्ते में एंबुलेंस चला दी तो कोई अनहोनी भी हो सकती हैं. ऐसे में उसने 12 साल के वेंकटेश नाम के एक लड़के से पूछा कि क्या यहाँ से बाहर जाने का कोई रास्ता हैं?

ऐसे में वेंकटेश ने ना सिर्फ एंबुलेंस वाले को रास्ता दिखाया बल्कि वो बाढ़ के पानी में एंबुलेंस के आगे आगे जाने लगा ताकि गाड़ी को गुड्डे से बचाते हुए सही सलामत ले जाया जा सके. इस दौरान 12 वर्षीय वेंकटेश कई बार गिरा भी लेकिन उसने इस बात की परवाह नहीं की और एंबुलेंस कि सुरक्षित रास्ता पार करवा दिया. उस दौरान एंबुलेंस के अंदर 6 बच्चे और एक मृत महिला भी थी. वेंकटेश की बहादुरी की वजह से इन सभी की जान भी बच गई. इस पूरी घटना के दौरान गाँव के कुछ लोगो ने वेंकटेश की इस बहादुरी को मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया. इसके बाद देखते ही देखते ये विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसके बाद जब इसका पता बड़े अधिकारीयों को चला तो उन्होंने वेंकटेश को बुलाकार सम्मानित भी किया.

12 वर्षीय वेंकटेश हरियानकुंपे के सरकारी स्कूल में कक्षा 6वीं में पड़ता हैं. गाँव के लोगो का कहना हैं कि वेंकटेश अक्सर इस नदी के पास खेलते कूदता रहता हैं जिसकी वजह से उसे इस ईलाके की अच्छे से जानकारी हैं. यही कारण हैं कि उसने बाढ़ में डूबे ब्रिज पर भी एंबुलेंस को सही सही रास्ता दिखा दिया. जानकारी के अनुसार वेंकटेश इसके पहले एक महिला को डूबने से भी बचा चूका हैं. हालाँकि बाढ़ की वजह से वेंकेटश और उनका परिवार हरियानकुंपे से यादगिर में अपने एक रिश्तेदार के यहाँ शिफ्ट हो गया हैं. वेंकटेश के पिता हरियानकुंपे में एक गरीब किसान हैं. रायचूर जिले के अधिकारी वेंकटेश को ‘बहादुरी पुरुष्कार’ देने का भी प्लान बना रहे हैं.

जब वेंकटेश से इस बारे में पूछा गया तो उसने बताया “एंबुलेंस के ड्राईवर ने मुझ से पूछा था कि इस नदी को पार करने का कोई रास्ता हैं? क्या वो इस ब्रिज पर से वाहन ले जा सकता हैं? ऐसे में मैंने उसे रास्ता दिखा दिया. मुझे ये नहीं पता था कि किसी की मदद करना बहादुरी भी होता हैं.

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