राजनीति

ट्रंप ने भारत को भी दिया झटका,एक ही दिन में पांच दिग्गज IT कंपनियों के 33,000 करोड़ डूबे!

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर भारत का एक बड़ा डर सही साबित हुआ. ट्रंप प्रशासन ने विदेशियों के लिए अमेरिका का वीजा हासिल करने की शर्तें काफी सख्त बना दी हैं. अब भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरी करना मुश्किल हो जाएगा. ट्रंप ने 7 मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अस्थायी बैन के फैसले के बाद दूसरे देशों से अमेरिका में नौकरी के लिए आने वाले प्रोफेशनल्स पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है.

‘हायर अमेरिकन’ की अपनी नीति पर चलते हुए ट्रंप ने एच1बी वीजा की शर्तों को सख्त करने के लिए अमेरिकी संसद में बिल रखा है. बिल में एच-1बी वीजा के लिए न्यूनतम वेतन की सीमा को दोगुने से ज्यादा बढ़ाते हुए 1,30,000 अमेरिकी डॉलर करने का प्रस्ताव है. फिलहाल यह लिमिट 60,000 अमेरिकी डॉलर है. अगर यह बिल पास हो गया तो भारतीय आईटी प्रफेशनल्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. यह पहल डोनाल्ड ट्रंप सरकार की अमेरिकियों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की पहल का हिस्सा है.

अमेरिका में एच-1बी वीजा के नियमों में संशोधन की तैयारी के खबरों के बीच मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में इसका तगड़ा असर देखने को मिला. IT कंपनियों के शेयरों में 4 फीसदी की भारी गिरावट देखी गई, जिससे टॉप 5 आईटी कंपनियों को एक दिन के भीतर ही अपने बाजार मूल्य में 33,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.

किन 5 कंपनियों को हुआ भारी नुकसान :

दिग्गज आईटी कंपनी टीसीएस के शेयरों में 4.47 फीसदी की गिरावट आई है. कंपनी का शेयर दिन के अंत तक 2,229 रुपये के स्तर पर क्लोज हुआ. वहीं, इन्फोसिस का शेयर 2.01% की गिरावट के साथ 905 रुपये के स्तर पर जाकर बंद हुआ. यही नहीं विप्रो के शेयरों में भी 1.62% तक की गिरावट देखने को मिली है. एक समय कंपनी के शेयर 445.55 के स्तर तक पहुंच गए थे, लेकिन दिन के अंत तक थोड़ा संभलते हुए यह 457.10 रुपये हो गया. टेक महिंद्रा के शेयरों में 4.23 पर्सेंट तक की गिरावट आई है. वहीं, एचसीएल टेक्नॉलजीज के शेयर 3.67% की कमजोरी के साथ 808.85 के स्तर पर क्लोज हुए. कुल मिलाकर दिन के अंत तक इन पांच दिग्गज कंपनियों को अपनी मार्केट पूंजी में 33,000 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा.

क्या है H-1B वीजा?

एच-1बी इमीग्रेशन एण्ड नेशनॅलिटी एक्ट (Immigration and Nationality Act) की धारा 101 (ए)(15)(एच) के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका में एक गैर-आप्रवासी वीज़ा है। यह अमेरिका नौकरी देने वाले को विशेषतापूर्ण व्यवसायों में अस्थायी तौर पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। बीते कुछ सालों से इसे लगातार महंगा और मुश्किल बनाया जा रहा है, लेकिन भारतीय इंजिनियरों का मेहनताना अमेरिकी इंजिनियरों की तुलना में इतना कम पड़ता है कि कंपनियां थोड़ा नुकसान उठाकर भी उन्हें नौकरी पर रख लेती है या फिर भारत से अमेरिका ट्रांसफर करना बेहतर समझती हैं.

भारत जताई आपत्ति :

हालांकि भारत ने मंगलवार को कहा कि उसने अमेरिकी कांग्रेस में एच1बी वीजा नियमों में बदलाव के लिए पेश किए गए विधेयक से जुड़ी अपनी चिंताओं से अमेरिका को अवगत करा दिया है. माना जा रहा है कि ऐसा कोई भी बदलाव भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग और अमेरिका में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रहे भारतीयों पर विपरीत असर डालेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत के हितों और चिंताओं से अमेरिकी प्रशासन और अमेरिकी कांग्रेस, दोनों को उच्चस्तर पर अवगत करा दिया गया है.

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