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दिल्ली की फेवरेट सीएम शिला दीक्षित ने 81 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, गम में डूबा पूरा देश

भारत की राजधानी दिल्ली से बहुत ही दुखभरी खबर आ रही हैं. आज (20 जुलाई) को दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री मंत्री शीला दीक्षित का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शीलाजी पिछले काफी समय से बीमार थी. वे इलाज हेतु दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती भी थी. ऐसे में इसी हॉस्पिटल में उन्होंने अपनी अंतिम साँसे ली. शीले दीक्षित दिल्ली की चहेती सीएम रही हैं. उन्होंने दिल्ली में 15 सालो तक मुख्यमंत्री का पद संभाला था. उनका ये कार्यकाल साल 1998 से लेकर 2013 तक रहा. शीला जी कांग्रेस की दिग्गज नेताओं में से एक थी. उनकी लीडरशिप में ही कांग्रेस दिल्ली में लगातार तीन बार अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही थी. वर्तमान में भी वे दिल्ली की कांग्रेस सरकार के अध्यक्ष का कारभार संभाल रही थी.

अस्पताल में निधन के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को उनके आवास स्थल (निजामुद्दीन) लाया जाएगा. शीलाजी के निधन से कांग्रेस पार्टी सहित पुरे देश में दुःख का माहोल हैं. देश भर के नेताओ ने उनके निधन पर शौक व्यक्त किया हैं. कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टी के लोग भी उन्हें याद करते हुए दुःख व्यक्त कर रहे हैं. दिल्ली की काया पलटने में शिला दीक्षित का अहम रोल रहा हैं. भूतकाल में उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे लेकिन वर्तमान में उनके कार्यों की काफी सराहना भी हुई. उन्होंने हाल ही में लोकसभा चुनाव 2019 में भी भाग लिया था. वे उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनाव भी लड़ी हालाँकि उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी.

कांग्रेस की बड़ी और मुख्य नेता रही शिला दीक्षित पंजाब के कपूरथला में पैदा हुई थी. उनका जन्म 31 मार्च 1938 को हुआ था. एजुकेशन की बात करे तो उन्होंने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से अपनी बेसिक स्कूली पढ़ाई पूर्ण की थी. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में एडमिशन लिया था. यहां उन्होंने मास्टर्स ऑफ आर्ट्स कर पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया था. अपने राजनितिक करियर की शुरुआत में वे यूपी के कन्नौज में 1984 – 1989 सांसद भी रही. इस दौरान वे लोकसभा की एस्टिमेट्स कमिटी से जुड़ी.

ऐसा कहा जाता हैं कि शीला दीक्षित ही वो चेहरा हैं जिन्होंने दिल्ली का चेहरा बदला था. उनके राज्यकाल में दिल्ली में कई विकास कार्य संपन्न हुए थे. वे महिलाओं के हक़ के लिए लड़ने और उनकी स्थिति सुधारने पर ज्यादा फोकस करती थी. इस बावत वे संयुक्त राष्ट्र आयोग में 5 साल (1984-1989) तक भारत की प्रतिनिधि रही. 1998 में जब वे सीएम बनी थी तो उन्होंने बीजेपी के लाल बिहारी तिवारी को पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से हराया था. इसके बाद वे लगातार 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुसरी पर ही टिकी रही.

शीला दीक्षित की निजी जिंदगी की बात करे तो उनकी दो संताने हैं. इसमें बेटे का नाम संदीप दीक्षित हैं. संदीप कांग्रेस में सांसद भी रह चुके हैं. वहीं बेटी का नाम लतिका सैयद हैं. उनकी एक पौती भी हैं जिसका नाम तारा यामिनी दीक्षित हैं. शिलाजी के पार्थिव शरीर को उनके आवास स्थान पर लाने के बाद उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की जाएगी. भगवान शीला जी की आत्मा को शान्ति दे.

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