अध्यात्म

अपने इष्टदेव के हिसाब से करें गायत्री मंत्र का जाप, हर देवी-देवता से जुड़ा है अलग गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र को सबसे सर्वश्रेष्ठ मंत्र माना गया है और इस मंत्र का जाप करने से मन शांत हो जाता है। रोजाना तीन बार गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है और इस मंत्र का जाप करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से दिमाग तेजी से काम करने लग जाता है और चीजे याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है। इसके अलावा इस मंत्र का जाप करने से इष्टदेव भी खुश हो जाते हैं और आपकी रक्षा करते हैं।

कब करें गायत्री मंत्र का जाप

गायत्री मंत्र का जाप करने का सबसे उत्तम समय सूर्योदय से दो घंटे पूर्व से लेकर सूर्यास्त से एक घंटे बाद तक का माना जाता है और इस दौरान गायत्री मंत्र का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए आप इसी दौरान ही इस मंत्र का जाप करें।

हर देवी-देवताओं से जुड़ा है अलग मंत्र

हर देवी-देवताओं से अलग तरह का गायत्री मंत्र जुड़ा है और आपके जो भी इष्टदेव हैं, आप उनके हिसाब से गायत्री मंत्र का जाप करें। अपने इष्टदेव से जुड़ा गायत्री मंत्र पढ़ने से आपको अधिक लाभ मिलेगा और इष्टदेव प्रसन्न हो जाएंगे।

देवी-देवता से जुड़े गायत्री मंत्र-

गणेश जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।।

श्रीकृष्ण जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।।

सरस्वती जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।।

विष्णु जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात।।

लक्ष्मी जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णु पत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।

शिव जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।

शनि जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महे, मृत्युरूपाय धीमहि। तन्नो सौरी: प्रचोदयात।।

दुर्गा जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।

हनुमान जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ अंजनीसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।।

सूर्य जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ आदित्याय विद्महे, सहस्त्रकिरणाय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।

तुलसी जी से जुड़ा गायत्री मंत्र

ऊँ श्रीतुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

आप गायत्री मंत्र के जाप  108 बार करें और इस मंत्र का जाप आप माला पर करें। इस मंत्र का जाप आप दिन में तीन बार करें यानी सुबह, दोपहर और शाम के समय करें।

गायत्री मंत्र का जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान

– गायत्री मंत्र का जाप करते समय आप आवाज ना निकाले और मन में ही इस मंत्र का जाप करें।

– गायत्री मंत्र का जाप आप मंदिर मेें बैठकर करें और इस मंत्र का जाप करते समय आप एक घी का दीया भी जरूर जला लें।

– गायत्री मंत्र का जाप भूलकर भी रात के समय ना करें। रात के समय इस मंत्र का जाप करना शुभ नहीं माना जाता है और रात के दौरान ये मंत्र पढ़ने से आपको किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिलता है। साथ में ही आपके इष्टदेव नाराज भी हो जाते हैं। इसलिए आप इस मंत्र का जाप शाम के सात बजे के बाद ना करें।

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