अध्यात्म

बगलामुखी देवी की पूजा करने से हो जाता है शुत्र का नाश, मां करती हैं हर प्रकार के संकट से रक्षा

मां बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं और इन्हें दस महाविद्याओं में सबसे सर्वोत्तम माना गया है। इनकी पूजा करने से इंसान को अपने हर दुख और संकट से मुक्ति मिल जाती है। जो लोग सच्चे मन से मां बगलामुखी देवी की पूजा करते हैं उनके शुत्र का नाश बेहद ही आसानी से हो जाता है और मां अपने भक्तों की रक्षा हर प्रकार के संकट से करती हैं।

आखिर कौन हैं मां बगलामुखी देवी

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के कठोर तप से प्रसन्न होकर मां बगलामुखी देवी प्रकट हुई थी और मां बगलामुखी देवी मे इस संसार को नष्ट होने से बचाया था। मान्यता के अनुसार एक बार ब्रह्माण्ड में काफी भयंकर तूफान आया था और इस तूफान को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने तपस्या की थी। विष्णु जी की तपस्या से मां बगलामुखी देवी प्रकट हुई थी और इन्होंने तूफान से ब्रह्माण्ड की रक्षा की थी। जब मां बगलामुखी प्रकट हुई थी तब इनका रंग पीला था और इसलिए इनको पितांबरा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि बगलामुखी देवी को पीला रंग काफी प्रिया है और इनकी पूजा के दौरान इस रंग के फूल और कपड़ों का जरूर प्रयोग किया जाता है।

कैसे करें मां बगलामुखी देवी  की पूजा

दस महाविद्या में आठवां स्वरूप देवी बंगलामुखी का है और इनकी पूजा करने से बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है। मां बगलामुखी देवी की पूजा केवल रात के समय ही की जाती है। इसलिए आप रात को 10 बजे के बाद ही मां बगलामुखी देवी की पूजा करना शुरू करें और पूजा को गोपनीय रूप करें।

मां बगलामुखी देवी की पूजा करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ करें जहां पर आप पूजा करने वाले हैं। स्थान को साफ करने के बाद आप वहां पर एक चौकी रखकर उसपर मां की मूर्ति या फोटो को स्थापित कर दें।

पूजा के दौरान आप केवल पीले फूल, हल्दी, पीले चावल, पीली मिठाई का ही इस्तेमाल करें। यहां तक आपके वस्त्र भी पूजा करने के दौरान पीले ही होने चाहिए। पूजा शुरू करने से पहले आप मां का नाम लेते हुए संकल्प करें और फिर मां की पूजा शुरू कर दें। मां की पूजा करने के दौरान आप मां बगलामुखी देवी से जुड़े मंत्रों का जाप करें और मंत्रों का जाप करने के बाद मां के सामने फल और मिठाई को अर्पित करें। पूजा पूरी होने के बाद आप मां को चढ़ाए गए फल और मिठाई को बच्चों में बांट दें।

मां बगलामुखी की वजह से रुका था भारत-चीन युद्ध

ऐसा कहा जाता है कि साल  1962 में जब भारत और चीन का युद्ध हुआ तब उस समय  भारत के  प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सेना के कई बड़े अधिकारियों के साथ मिला लगातार 11 दिन तक मां बगलामुखी का महायज्ञ करवाया था। इस यज्ञ के 11 वें और आखिरी दिन जैसे ही अंतिम आहुति को हवन में डाला गया था, वैसे ही चीन देश ने इस युद्ध को रोक दिया था। ये यज्ञ मध्यप्रदेश के दतिया में बगलामुखी शक्ति पीठ में हुआ था।

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