दिलचस्प

एक राक्षस का सामना कर कृष्ण जी ने बलराम को दी थी जीवन से जुड़ी सबसे बड़ी सीख

एक बार कृष्ण अपने भाई बलराम के साथ कहीं जा रहे थे। लेकिन चलते-चलते काफी रात हो गई थी और इन्होंने सोचा की रात के समय जंगल में सफर करने से अच्छा है कि रुककर आराम कर लिया जाए। जिसके बाद ये दोनों भाई एक पेड़ के पास जाकर बैठ गए। कुछ देर बाद कृष्ण और बलराम को नींद आने लगी। लेकिन जिस जगह पर ये रुक थे, वहां पर काफी जानवर हुआ करते थे। इसलिए इन्होंने सोचा की हम एक-एक करके सो जाते हैं। कृष्ण ने बलराम से कहा कि ‘पहले मैं सो जाता हूं और तुम रक्षा करों और जब तुम्हें नींद आने लगे तो तुम मुझे जगा देने’। ‘फिर मैं पहरा दूंगा और तू सो जाना’। ये बात कहने के बाद कृष्ण जी सो गए और बलराम पहरा देने लगे। कुछ देर बाद बलराम को एक बड़ी सी चीज उनके पास आती हुई नजर आई और बलराम उसको देखकर डर गए। बलराम ने कृष्ण  को जगाने की कोशिश की मगर कृष्ण गहरी नींद में थे। तभी अचानक से बलराम ने देखा की उनके सामने एक राक्षस खड़ा हो गया है। राक्षस को देख बलराम डर गए।

राक्षस ने बलराम को डराने के लिए जोर से आवाज निकाली, राक्षस की आवाज सन बलराम और डर गए और बलराम का आकार छोटा होने लगा। वहीं जैसे जैसे राक्षस चिलाने लगा बलराम डर के छोटे होने लगे और राक्षस का आकार बढ़ने लगा। राक्षस जैसे ही बलराम के पास आया तो बलराम जोर से चिलाते हुए बेहोश हो गए। बलराम की इतनी तेज आवाज सुन कृष्ण की नींद खुल गई। कृष्ण जी को लगी की शायद बलराम थक गया है और मेरे को उठाकर सो गया है।

कृष्ण ने पहरा देना शुरू कर दिया, तभी कृष्ण के सामने भी वो राक्षस आ गया और राक्षस ने कृष्ण को डराना शुरू कर दिया। लेकिन कृष्ण राक्षस से डरे नहीं और राक्षस को देख उससे पूछने लगे की ‘तुम क्यों मेरे को डरा रहे हैं’। राक्षस से ना डरने के कारण कृष्ण का आकार बड़ा होने लगा और राक्षस का आकार छोटा होने लगा। राक्षस ने फिर कृष्ण जी को डराने की कोशिश की मगर कृष्ण जी नहीं डरे और उनका आकार और बढ़ा हो गया, जबकि राक्षस बेहद ही छोटा हो गया। राक्षस के छोटा होते ही कृष्ण ने उसे एक कपड़े में बांध लिए।

वहीं अगले दिन सुबह जब बलराम को होश आया तो उसने कृष्ण को बताया की रात को एक राक्षस आया था और उस राक्षस को देखकर मैं डर गया। बलराम की बात सुन कृष्ण ने उस राक्षस को कपड़े से निकाला और कहा की कहीं इस राक्षस की तो तुम बात नहीं कर रहे हों। बलराम ने कृष्ण जी से कहा हां यहीं राक्षस कल आया था और इसको देखकर में बेहोश हो गया था। लेकिन कल तो ये राक्षस काफी बड़ा था। आज ये इतना छोटा कैसे हो गया। तब कृष्ण जी ने अपने बड़े भाई बलराम से कहा कि जब हम दिक्कतों से बचने की कोशिश करते हैं, तो वो दिक्कतें हमें हमेशा बड़ी ही दिखती हैं। वहीं अगर तुम उन दिक्कतों का सामना कर लों तो वो दिक्कतें तुम्हें छोटी लगने लगती है। इसलिए हर परेशानी को अपने से छोटा ही समझों और उसका सामना बिना डरे करो।

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