अध्यात्म

हनुमान जी के इस मंदिर में होती हैं उनकी लेटी हुई प्रतिमा की पूजा, मनोकामना होती है पूरी

अपने अक्सर ही देखा होगा की जब भी कहीं पर लोगों का जन सैलाब उमड़ता है तो इस दौरान कुछ नारे भी लगते हैं और ज़्यादातर “जय श्री राम” या फिर “हर हर महादेव” के नारे ही लगाए जाते है फिर चाहे वो माहौल कोई धार्मिक कथा आदि से जुड़ा हो या फिर किसी तरह की रैली या कोई भी कार्यक्रम आदि हो। आपको बता दें की हमारे देश में बजरंगबाली के लाखो करोड़ो भक्त है और यही वजह है की हनुमान जी के मंदिरों की संख्या भी लाखों में हैं, मगर बताते चलें की हर मंदिर को उतना खास नहीं माना जाता जबकि हनुमान जी के कुछ ऐसी मंदिरऐसे हैं जिसकी लोकप्रियता ना सिर्फ आसपास के स्थानों में रहती है बल्कि देश के कोने कोने तक होती है और कभी कभी तो विदेशों तक भी। ऐसी में आज हम आपको हनुमान जी के दिन यानी की शनिवार के दिन देश के अलग अलग हिस्सों में स्थित कुछ मंदिरों की जानकारी दे रहे हैं जिनकी अपनी अलग अलग खासियत है।

1. बड़ा हनुमान मंदिर, प्रयागराज

सबसे पहले हम बात करते हैं उत्तर प्रदेश में प्रयागराज किले से सटे हनुमान जी के इस लोकप्रिय मंदिर की जहां पर बजरंगबाली की लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है। आपको बता दें की समस्त भारत में यह सिर्फ एक ही ऐसा मंदिर हैं जहां आपको 20 फीट लंबी हनुमान जी की लेटी हुई मुद्रा में प्रतिमा मिलेगी। बताया जाता है की वर्षा के दिनों में जब बाढ़ जैसी स्थिति आ जाती है तो उस दौरान यहाँ का पूरा स्थान पानी में डूब जाता है और तब हनुमानजी की इस मूर्ति को दूसरे स्थान पर ले जाकर सुरक्षित रखा जाता है और बाद में स्थिति सामान्य हो जाने पर वापिस से यही पर ल दिया जाता है।

2. हनुमानगढ़ी, अयोध्या

उत्तर प्रदेश के ही सबसे धार्मिक स्थान यानी की अयोध्या जिसे प्रभु श्री राम की जन्म भूमि भी बताई जाती है यहाँ पर श्री हनुमान मंदिर, हनुमानगढ़ी के नाम से विख्यात है। बताते चलें की यह मंदिर राजद्वार के सामने एक बहुत ही ऊंचे टीले पर स्थित है और यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको 60 सीढिय़ां चढनी पड़ती है और तब जा कर श्री हनुमान जी के दर्शन हो पाते हैं है। मान्यता है की अयोध्या स्थित श्री राम मंदिर में जाने के लिए सबसे पहले यहाँ पर हनुमानगढ़ी में आज्ञा लेनी पड़ती है अन्यथा आप श्री राम के दर्शन नहीं कर पाएंगे।
बता दें की इस मंदिर की स्थापना तकरीबन 300 वर्ष पहले स्वामी श्री अभयारामदास जी ने की थी।

3. सालासर हनुमान मंदिर, सालासर

बताते चलें की राजस्थान के चुरू जिले में स्थित हनुमान जी का यह मंदिर सालासर वाले बालाजी के नाम यह मंदिर प्रसिद्ध है। अलसा में ये मंदिर सालासर नाम के गाँव में बसा हुआ है जिस वजह से लोग इस नाम से पुकारने लगे। बता दें की हनुमान जी की यह प्रतिमा सामान्य से कुछ अलग है क्योंकि इसमे इनकी दाड़ी व मूंछ भी आकृत हैं। देश के अलग अलग हिस्सों से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनचाहा वरदान पाते हैं।

4. संकटमोचन मंदिर, वाराणसी

यूपी की धार्मिक नागरी वाराणसी में स्थित हनुमान जी का यह मंदिर बहुत ही ज्यादा प्रतापी और लोकप्रिय है।  आपको बता दें की काशी स्थित इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यहां स्थापित मूर्ति गोस्वामी तुलसीदास के तप और प्रताप से प्रकट हुई थी। दर्शन मात्र से हनुमान जी अपने हर भक्त की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। यहाँ दर्शन के लिए बड़ी बड़ी हस्तियाँ भी आती रहती हैं।

5. हनुमानधारा, चित्रकूट

उत्तर प्रदेश के ही सीतापुर नामक स्थान के समीप बसा प्रभु श्री राम के भक्त हनुमाना जी का यह मंदिर स्थापित है। बता दें की पहाड़ के सहारे हनुमानजी की इस विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर दो जल के कुंड स्थापित हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और इस कुंड की धारा का जल हमेशा ही हनुमान जी को स्पर्श करटे हुए बहता है और इसी वजह से इसका नाम हनुमानधारा पड़ गया। बताते चलें की सीतापुर से हनुमानधारा की दूरी तीन मील है।

6. बालाजी हनुमान मंदिर, मेहंदीपुर

राजस्थान में स्थित यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई बस मार्ग पर जयपुर से तकरीबन 60 किलोमीटर की दूरी पर है। मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है की यह मंदिर आज से करीब 1000 वर्ष पुराना है, बताया जाता है की यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में प्रकृतिक रूप से हनुमान जी की आकृति उभर आई थी और उसके बाद से ही हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मुगल साम्राज्य के दौरान इस मंदिर को तोडऩे के कई प्रयास किए गए मगर एक भी सफल नहीं हो पाया और उसके बाद से इस मंदिर की मान्यता और भी ज्यादा बढ़ गयी।

7. बेट द्वारका, गुजरात

बताते चलें की बेट द्वारका से करीब चार मील की दूरी पर स्थित मकरध्वज के साथ में हनुमान जी की की बहुत ही भावी और चमत्कारिक मूर्ति यहाँ पर स्थापित है। मान्यता है की पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी मगर अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं और ये अपने आप ही हुआ है। कीविदन्तों के अनुसार बताया जाता है की अहिरावण ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपा कर रखा था और तब उन्हे खोजते हुए हनुमान जी इस स्थान पर आए थे और तब उनका मकरध्वज के साथ घोर युद्ध हुआ। अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया और उन्ही की स्मृति में इस स्थान पर यह मूर्ति स्थापित है।

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