अध्यात्म

जानिए सुन्दर कांड से जुडी यह विशेष बातें जिनसे आज भी कम ही लोग है परिचित

बचपन से ही हम सभी रामयण की कहानी देखते सुनते आ रहे है, और हर वर्ष हमारे शहर या फिर गाव के आस पास दशहरे के अवसर पर रामलीला आयोजित कराई जाती है। आपको बता दें की यूं तो रामायण की कथा तो बहुत ही दिलचस्प और सुन्दर है मगर इसके साथ ही इसमें आए एक अध्याय “सुन्दर कांड” का वर्णन रामयण की कथा में सुनने को मिलता है जो की इस कथा को अत्यधिक सुन्दर और मनभावन बना देता है। वैसे अगर आपने ध्यान दिया होगा तो देखा होगा की जब भी कभी हमारे या आस पास के घरों में कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उस दौरान वहाँ पर रामायण या फिर सुंदरकांड का ही पाठ भी कराया जाता है, ऐसा इसलिए ताकि हम पर भगवान की कृपादृष्टि बनी रहती है।

आपको बता दें की हम सभी हनुमान जी की पूजा करते हैं और बहुत से लोग हनुमान जी के सुंदरकांड का पाठ करते हैं और ऐसे में आज हम आपको सुंदरकांड पाठ से जुड़ी कुछ विशेष बातें बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।

कैसे पड़ा इसका नाम “सुंदरकांड”

रामायण के विख्यात अध्याय, सुंदरकांड में रामदूत पवनपुत्र हनुमान का यशोगान किया गया है और इसलिए सुंदरकांड के नायक श्री हनुमान हैं। मगर यहाँ पर हर किसी के मन में एक सवाल ये आता है की आखिर इसका नाम सुंदरकांड ही क्यों पड़ा, क्या है इस नाम को रखने की वजह। असल में आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की हनुमानजी त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी हुई लंका में माता सीता की खोज में गए थे। आपको बता दें की त्रिकुटांचल पर्वत यानी की यहां पर 3 पर्वत थे, पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में रामायण का महायुद्ध हुआ था, दूसरा नील पर्वत, जहां पर सभी राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जिस जगह पर अशोक वाटिका निर्मित थी और लंकापति रावण ने सीता माता का अपहरण करके उन्हे यहीं पर इसी वाटिका में रखा हुआ था जहां उनकी खोज में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। चूंकि यह सारी घटना सुंदर पर्वत पर ही हुई है और इसी वजह से इस पूरे दृश्य के वर्णन को सुंदरकांड का नाम दिया गया था।

आपको यह भी बताते चलें की अगर किसी व्यक्ति के जीवन में कई सारी परेशानियाँ आ रही है और बार बार उसके बनते हुए कार्य आदि भी बिगड़ जा रहे है और सफलता नहीं मिल पा रही है तो शास्त्रों के अनुसार बताया गया है की उस व्यक्ति को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए क्योंकि इससे उसे शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं।

यह भी बता दें की जो भी लोग नियमित रूप सेबजरंगबली को समर्पित सुंदरकांड का पाठ करते हैं उनके जीवन के सभी दुख-कष्ट आदि दूर हो जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए यह भी बताते चलें की इस पाठ में यह बताया गया है की किस प्रकार से हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल से माता सीता की खोज की थी और उनकी इसी सफलता को याद करने के किया जाता है।

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