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9वीं फेल होने पर बेचने पड़े साइकिल पर दूध, आज हैं जगुवार कार के मालिक

इंसान की जिंदगी कब कौन सा मोड़ ले ले ये कोई नहीं जानता और कब कोई साधारण सा आदमी करोड़ों का मालिक बन जाए इसकी भी कोई संभावना नहीं होती. अब तक आपने कई लोगों की कहानी सुनी होगी जिन्होंने सड़क से महल का सफर तय किया लेकिन हम आपको एक ऐसे दूधवाले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपने जीवन में खूब मेहनत की लेकिन आज उसका लक कहीं और ही उसे ले गया. 18 साल पहले भिवाड़ी में रहने वाला एक लड़का 9वीं फेल हो गया था और घरवालों की डांट सुनने के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था. 9वीं फेल होने पर बेचने पड़े साइकिल पर दूध लेकिन आज उसकी तकदीर उसे कहीं और ही ले आई है जहां आने का सपना हर संघर्ष करने वाला व्यक्ति देखता है.

9वीं फेल होने पर बेचने पड़े साइकिल पर दूध

9वीं फेल होने के बाद राजवीर के घर वालों ने उसे खूब डांटा और वह सुनता रहता था लेकिन कुछ कर नहीं पाता था. एक शाम वो अपने दादा जगलाराम के पास आकर बोला कि दादा बड़ा आदमी बनना है. इतना सुनते ही उसके दादाजी उसे देखते रहे फिर उन्होंने कहा कि सामने साइकिल खड़ी है पहले दूध बेचकर आओ लेकिन उसका इंतजाम खुद ही करना. पहले दिन राजवीर ने किसी तरह उधार लेकर दूध खरीदा और उसे साइकिल पर लेर घरों और सोसाइटीज में घूमता रहता था. पहले दिन उसने पांच किलो दूध बेचा इसके बाद दूध की धार ने राजवीर का ऐसा हाथ पकड़ा कि आज राजवीर तीन फैक्ट्रियों का मालिक है और उसके यहां करीब 500 लोग काम करते हैं. 5 किलो दूध की बिक्री साल 2014 तक 22 हजार लीटर तक पहुंच गई. राजवीर उस जिले का सरस डेयरी का सबसे बड़ा डीलर बन गया तब उसे दूध का व्यापार करते हुए आगे बढ़ने का ख्याल उसके दिमाग में आया.

राजवीर ने ठान लिया था कि वो बड़ा आदमी बनेगा और फिर उसने कुछ पैसे इकट्ठा किए और उसने इंडस्ट्री एरिया में एक प्लॉट खरीद लिया. इसके बाद उसने सोचा कि यहां पर लोहे की फैक्ट्री लगाए लेकिन कभी रिटर्न नहीं भरा तो बैंक ने लोन देने से मना कर दिया था. इसके बाद उसने दौड़-धूप करनी चालू की कि किसी तरह उसे बिजनेस के लिए लोन मिल जाए.

इस तरह राजवीर ने कराया लोन पास

दो महीने तक लगातार दौड़-धूप करने के पास उसने किसी तरह लोन पास करवाया और साल 2015 में श्रीश्याम कृपा के नाम से इंगट बनाने की फैक्ट्री लगा ली. शुरुआत में उसने 10 लोगों को काम दिया इसके बाद उसने कुछ अनुभवी लोगों को रखा इस तरह से काम बढ़ने लगा. उसका काम ऐसा बढ़ा कि देश के नामचीन सरिया बनाने वाली फैक्ट्रियां एलीगेंट टीएमटी, आशियाना इस्पात, कैपिटल इस्पात, राठी टीएमटी जैसी बड़ी कंपनियां भी इसके यहां से माल लेने लगी. अभी राजवीर ने कामयाबी हालिस की और इसके साथ ही उसने कार के गेयर पार्ट्स बनाने वाली दो फैक्ट्रियां विश्वकर्मा और धर्मेंद्रा इंडस्ट्री भी खोल ली. राजवीर को आज अपने 9वीं फेल होने पर बिल्कुल अफसोस नहीं होता और आज वो करोड़पति बन गया है और उसके यहां 500 लोग काम करते हैं 3 सीए और कई पढे लिखे लोग काम करने लगे हैं.

जिस साइकिल से राजवीर ने दूध बेचने का काम शुरु किया था वो उसने आज भी अपने घर में संभाल कर रखी है. जब भी मन करता है राजवीर उसे लेकर निकल पडता है, हालांकि राजवीर के पास अब जगुआर जैसी कारें हैं लेकिन राजवीर के अनुसार इसी साइकिल की वजह से उसके यहां बरकत आई है इसलिए ये साइकिल जगुआर से भी अहम है. राजवीर का बहुत बड़ा परिवार है जिसमें उनके पिता 6 भाई हैं और उनके 14 बेटे हैं. इन बेटों के 30 बच्चे है यानी लगभग 50 लोगों का एक संयुक्त परिवार आज भी सब साथ रहते हैं.

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