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होली के बाद भैय्या दूज का अपना अलग ही होता है महत्व, जानिए टीका करने का सही समय

भारत में त्यौहारों का कोई अंत नहीं होता है और यहां रक्षाबंधन के अलावा भी बहनें कुछ कास दूज पर अपने भाईयों को टीका करती हैं. दीपावली के दो दिन बाद एक भाईदूज होता है और होली के अगले दिन भी भाईदूज का पर्व मनाया जाता है. अभी होली का खुमार कम हुआ भी नहीं कि बहने अपने भाईयों के लिए खास पूजा करते हुए उन्हें टीका करते फिर से अपना शगुन उनसे मांगेंगी. सच में ये एक अनोखा देश है जहां हर रिश्तों के लिए कोई ना कोई पर्व बनाया गया है और जिसे व्यक्ति अपने परिवार के साथ मनाकर एक बेहतरीन यादों को बुनता है. होली के बाद भैय्या दूज का अपना अलग ही होता है महत्व, चलिए बताते हैं आपको इस दिन के खास महत्व और बहनों के टीका करने का सही समय क्या होगा.

होली के बाद भैय्या दूज का अपना अलग ही होता है महत्व

22 मार्च को होली के बाद वाला भाईदूज पूरा देश मनाएगा. फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात में होलिका दहन, फिर उसके अगली सुबह होली खेलने की रीत और फिर अगले दिन चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया को सभी भाईदूज का पर्व मनाते हैं. इस साल ये त्यौहार शुक्रवार के दिन पड़ने वाला है जो इस दिन हस्त और चित्रा नक्षत्र के ध्रुव योग में टीका करने का सबसे सही समय होगा. पौराणिक मान्यता के हिसाब से भैय्या दूज पर खुद यमराज ने अपनी बहन यमुना के घर जाकर टीका करवाया था और भोजन भी ग्रहण किया था. यमराज ने अपनी बहन को आर्शिवाद दिया था कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के ससुराल जाकर टीका करवाकर भोजन करता है तो उसे अकाल मृत्यु का भय कभी नहीं होगा. तभी से भाईयों का बहन के घर जाकर टीका करवाने की परंपरा शुरु हुई जिसे आज भी ज्यादातर लोग मनाते हैं.

इस दिन बहनों को भी अपने भाई को टीका लगातने समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. इसमें सबसे खास बात ये है कि टीके हमेशा लाल या गुलाबी गुलाल से लगाना होता है. अगर बहने अपने भाई की राशि के हिसाब से रंगों का चयन करें तो भाईयों की लंबी उम्र का आर्शिवाद और सर्वोत्तम फल मिल सकता है. इसलिए बहनों को उसी हिसाब से टीका करना चाहिए.

टीका का सही समय और सही रंग

 

होली के बाद वाला भाईदूज बहुत ही खास माना जाता है. जो द्वितिया तिथि में ही शुरु किया जाता है और इस बार टीका करने के लिए द्वितिया तिथि 22 मार्च की दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरु होगी और 23 मार्च की रात 12 बजकर 55 मिनट पर खत्म होगी. कई विद्वानों के मुताबिक मेष राशि के लिए लाल गुलाल, वृष राशि के लिए नीला गुलाल, मिथुन राशि के लिए हरा गुलाल, कर्क राशि के लिए पीला गुलाल, सिंह राशि के लिए नारंगी और लाल गुलाल, कन्या राशि के लिए बैंगनी गुलाल, तुला राशि के लिए नीला गुलाल, वृश्चिक राशि के लिए गहरा लाल या महरून गुलाल, धनु राशि के लिए पीला गुलाल, मकर राशि के लिए हरा गुलाल, कुंभ राशि के लिए नीला गुलाल और मीन राशि के लिए पीला गुलाल का सही चुनाव करना भाईयों के लिए बहुत अच्छा होगा.

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