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जानें क्यों चाय की दुकान चलाने वाले को राष्ट्रपति ने पद्मश्री से किया सम्मानित, पीएम भी हैं मुरीद

16 मार्च को राष्ट्रपति रामनाश कोविंद ने एक समांरोह में पद्मश्री पुरुस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। कार्यक्रम में कई लोगो को उनके अनोखे काम के लिए सम्मान दिया गया। पद्मश्री का सम्मान पाने वाले डी प्रकाश राव भी हैं जो ओडिशा के रहने वाले हैं और उनकी चाय की दुकान है। आप सोच रहे होंगे की चाय की दुकान चलाने वाले डी प्रकाश राव को किस योगदान के चलते ये सम्मान दिया गया है तो आपको बता दें किं प्रकाश राव को ये सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में समाजिक सेवा करने के लिए मिला है।

बच्चों को पढ़ाते हैं प्रकाश राव

प्रकाश राव ओडिशा के कटक शहर में रहते हैं औऱ उनकी चाय की दुकान है। सिर्फ इतन ही नहीं वो झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए एक स्कूल भी चलाते हैं जिसमें 70 से ज्यादा बच्चे बढ़ते हैं। प्रकाश राव का बचपन बहुत ही गरीबी में गुजरा है। वो पढ़ने में शुरु से अच्छे थे, लेकिन गरीबी की वजह से महज 5 साल की उम्र में उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। 6 साल होते होते तक वो चाय बेचने लगे थे।

उनके मन में हमेशा से पढ़ाई ना कर पाने का मलाल रहा। जब वो बड़े होने लगे तो उन्हें लगा कि जिस तरह गरीबी की वजब से उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी ऐसा किसी और बच्चे के साथ ना हो इसलिए उन्होंने झुग्गी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाना शुरु किया। प्रकाश राव का कहना था कि वो नहीं चाहते कि किसी भी बच्चे की पढ़ाई सिर्फ इसी वजह से ना रुक जाए क्योंकि उसके पास पैसे नहीं है। इसी वजह से वो चाय की दुकान के साथ साथ स्कूल भी चलाते हैं। सिर्फ पढ़ाई के लिए ही नहीं उन्हें अस्पताल में भी मरीजों की मदद करने के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें जब भी वक्त मिलता वो अस्पताल जाकर मरीजों की मदद करते।

बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए खोला स्कूल

प्रकाश राव ने बताया कि उनके स्कूल में 70 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं और सबसे खास बात ये है कि इन बच्चों के गलियो मे घूमना और घर में बैठना नहीं अच्छा लगता बल्कि स्कूल में पढ़ना पसंद करते हैं। पहले तो बच्चे यहां नहीं आना चाहते थे, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि यहां खाना भी मिलेगा तो बच्चों ने रोज आना शुरु कर दिया। प्रकाश राव के स्कूल में बच्चे सिर्फ पढ़ाई करने नहीं आते बल्कि यहां उन्हें सिंगिंग, डांसिग और जूडो भी सिखाया जाता है। इस वजह से स्कूल उनका मन लगता है।

हालांकि स्कूल चलाने के लिए पैसों की जरुरत होती हैं। प्रकाश राव ने कहा कि मैं 600 रुपए तक कमा लेता हूं और सीजन के दौरान मेरी कमाई 700-800 रोजाना हो जाती है, इसलिए पैसा मुद्दा नहीं है, मैं चाहता हूं कि बच्चे अपना भविष्य बना सकें और कुछ बन जाएं।

गौरतलब है कि उनके इस नेक काम के लिए पीएम मोदी ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में भी उनका नाम लिया था। इससे पहले वो खुद भी राव से जाकर मिले थे। पीएम से मुलाकात के बारे में राव ने कहा था कि जब वो ओडिशा आए थे तो 15-20 बच्चों के साथ उनसे मिलने गए थे। उस वक्त पीएम मोदी ने मुझसे कहा था कि मैं यहां आपसे मिलने आया हूं, आपके बारे में सबकुछ जानता हूं और किसी और को कुछ भी बताने की जरुरत नहीं हैं। राव ने बताया कि इस घटना के बाद लोगों ने आकर उनके पैर छूने शुरु कर दिया था। पीएम ने कहा था कि अगली बार जब भी वो ओडिशआ आएंगे तो उनके स्कूल में बना खाना जरुर खाकर जाएंगे।

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