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आधार कार्ड को लेकर आज से बदले ये नियम, जान लें वर्ना भरना पड़ सकता है 1 करोड़ तक का जुर्माना  

भारत में कोई भी फॉर्म भरने पर जब हमसे पहचान पत्र मांगा जाता है तब हम उसमें अधिकतर वोटर आईडी, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस आदि डालते हैं. बैंक में अकाउंट खुलवाना हो, नया सिम कार्ड लेना हो, किसी एग्जाम का फॉर्म भरना हो या फिर ऑनलाइन रेलवे का टिकट करना हो, इन सब कामों के लिए किसी न किसी पहचान पत्र की आवश्यकता पड़ती है. इसका मतलब व्यक्ति यह सारे काम तभी कर पायेगा जब उसके पास कोई आईडी प्रूफ होगा. लेकिन इन सब कार्डों के अलावा एक कार्ड ऐसा भी होता है जिसे बनवाने पर आपको इतने सारे प्रूफ की आवश्यकता नहीं पड़ती. हालांकि सभी आईडी कार्ड का अपना एक अलग महत्व है लेकिन यदि आपने सिर्फ ये एक कार्ड बनवा लिया तो आपको पहचान पत्र के तौर पर इतने सारे कार्ड अपने साथ लेकर चलने की जरूरत नहीं. यह कार्ड अकेले ही आपके सारे काम कर सकता है और आजकल के टाइम में सबसे ज्यादा महत्व इसी कार्ड को दिया जाता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं आधार कार्ड की. कुछ साल पहले भारत सरकार द्वारा भारतीय लोगों के लिए एक नयी योजना शुरू की गई थी जो भारत में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति को अपनी एक अलग पहचान दिलाएगी. आधार कार्ड पर एक unique identification number लिखा होता है जो उस व्यक्ति की पहचान होती है. आधार कार्ड परिवार के हर सदस्य का बन सकता है. इसके लिए कोई आयु सीमा नहीं है. आज के टाइम में इसे बनवाना हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है. आपके कुछ काम आधार कार्ड चेक किये बिना हो ही नहीं सकते.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नया बैंक खाता खुलवाने और सिम कार्ड लेने के लिए आधार कार्ड के आईडी प्रूफ के तौर पर स्वैच्छिक प्रयोग संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. ये मंजूरी मिलने के बाद अब कोई भी अपनी मर्जी से बैंक खाता खुलवाने या सिम कार्ड लेने के लिए प्रूफ के तौर पर आधार कार्ड को दे सकता है. बैंक खाता खुलवाने या सिम कार्ड लेने के लिए आधार कार्ड को आईडी प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल को लेकर सरकार की ओर से लाये गए बिल के राज्यसभा से मंजूरी नहीं मिलने पर सरकार यह अध्यादेश लेकर आई है.

गलत इस्तेमाल पर हो सकता है 1 करोड़ तक का जुर्माना

नए अध्यादेश को मंजूरी मिलते ही आधार आधार कार्ड को लेकर कुछ नए नियम बना दिए गए हैं. ये नियम आधार के गलत उपयोग संबंधी हैं. इसका पालन नहीं करने पर कंपनी या संस्था एक करोड़ रूपए तक का बड़ा जुर्माना लगा सकती है. ये राशि अदा नहीं की गयी तो रोजाना 10 लाख रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लग सकता है. ये नए नियम लागू होने के बाद सेवा प्रदाता और कंपनियां स्वैच्छिक तौर पर आधार कार्ड को आईडी के रूप में देने वाले लोगों की बुनियादी बायोमेट्रिक जानकारी और आधार संख्या का भण्डारण नहीं कर पाएंगी. इसके अलावा जो लोग आधार नंबर नहीं देते हैं उन्हें बैंक खाता या सिम कार्ड जैसी सुविधाओं से वंचित नहीं रखा जा सकता है.

लागू हुए नए नियम

– नए अध्यादेश के लागू होने के बाद आधार धारक की सहमति से आधार संख्या का ऑफलाइन या अन्य तरीके से भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन किया जा सकता है.

– 18 साल की उम्र पार कारने के बाद नाबालिग आधार धारक अपनी आधार संख्या रद्द कर सकता है.

– आधार एक्ट की धारा-57 पर यह नया अध्यादेश प्रभावी नहीं होगा. बता दें, इस धारा के अंतर्गत प्राइवेट कंपनियों को आधार डाटा के इस्तेमाल की इजाजत मिलती है.

– पहचान सत्यापन के लिए दिए गए आधार डाटा के इस्तेमाल पर 33 साल की जेल और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. इस मामले में यदि कोई कंपनी दोषी पायी जाती है तो उसे जुर्माने के तौर पर 1 लाख रुपये देने होंगे.

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