राजनीति

सिंधु नदी का जल रोकने की तैयारी शुरु! पीएम मोदी ने कहा – बूंद-बूंद पानी को तरसेगा पाकिस्तान!

नई दिल्ली – भारत सिंधु नदी जल समझौता (आईडब्ल्यूटी) का पाकिस्तान द्वारा नाजायज फायदा उठाने की हरकतों को रोकने जल्द ही अपने हिस्से के सिंधु नदी के जल का पूरा उपयोग करने की तैयारी कर रहा है और अगर ऐसा होता है तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका होगा। शुक्रवार को हुई बैठक में भारत ने सिंधु नदी पर बन रहे डैम के कार्य को और तेज करने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है। India tap indus waters.

 

पाकिस्‍तान पर नजर, सिंधु जल समझौते पर हुई अहम बैठक –

India tap indus waters

एक अंग्रेजी अख़बार के अनुसार पीएम मोदी के मुख्य सचिव निपेंद्र मिश्र ने सिंधु के जल को उपयोग करने के लिए बैठक की। इस बैठक में जम्मू और कश्मीर के हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट्स के काम में तेजी लाने और समझौते के तहत पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित घाटी की पश्चिमी क्षेत्र की तीन नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी को स्टोर करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने जैसे जरूरी मुद्दों पर बातचीत की गई। आपको बता दें कि रावी, ब्‍यास और सतलुज जैसी नदियों से संबंधित प्रक्रिया में पंजाब की भागीदारी काफी अहम है। इसके लिए पंजाब और जम्‍मू-कश्‍मीर को साथ लाया गया है ताकि इस पूरी प्रक्रिया को तेज गति से आगे बढ़ाया जा सके। दोनों राज्‍यों से अपनी-अपनी ग्राउंड रिपोर्ट जल्द पेश करने के लिए कहा गया है।

पीएम मोदी ने दी बूंद-बंदू पानी रोकने की चेतावनी –

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गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के बठिंडा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि सिंधु नदीं की एक-एक बूंद को रोककर भारत के किसानों तक पहुंचाया जाएगा। इसके पहले 27 सितंबर को पीएम मोदी के सिंधु नदी जल समझौते की समीक्षा करने के फैसले के बाद से इस प्रोजेक्ट को शुरू किए जाने की कवायद चल रही थी।  इस बैठक में पंजाब और जम्‍मू-कश्‍मीर के चीफ सेक्रटरीज के अलावा राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अ‍जीत डोभाल, विदेश सचिव एस. जयशंकर भी शामिल थे। बैठक में चेनाब और इसकी सहायक नदियों पर हाइड्रो-पावर प्रॉजेक्‍ट्स से जुड़े काम को और तेजी से पुरा करने की बात कही गई।

56 साल पहले साल 1960 में हुआ था सिंधु समझौता –

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सिंधु जल संधि को भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद पर एक सफल अंतरराष्ट्रीय उदाहरण माना जाता है। भारत और पाकिस्तान ने इस समझौते पर 56 साल पहले हस्ताक्षर किए थे। दोनो देशों के बीच दो युद्धों और एक सीमित युद्ध कारगिल और हज़ारों दिक्क़तों के बावजूद ये संधि कायम है। उड़ी हमले में 18 भारतीय सैनिकों के मारे जाने और भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान कि ओर से बार-बार हो रहे सीज़फायर के उल्लंघन को देखते लगता है कि भारत, सिंधु जल समझौता रद्द कर सकता है? सिंधु नदी का क्षेत्रफल करीब 11.2 लाख किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह पाकिस्तान (47 प्रतिशत), भारत (39 प्रतिशत), चीन (8 प्रतिशत) और अफ़गानिस्तान (6 प्रतिशत) में है।

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