अध्यात्म

भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां हनुमान जी लेटी अवस्था में, सबकी मनोकामनाएं करते हैं पूरी

हमारा भारत वर्ष धार्मिक देशों में से एक माना जाता है, यहां ऐसे बहुत से मंदिर मौजूद है जो अपने चमत्कार और रहस्य के लिए जाने जाते हैं आपको यहां पर हर गली में कोई ना कोई मंदिर अवश्य देखने को मिल जाएगा, सभी लोगों का इन मंदिरों के प्रति काफी श्रद्धा देखने को मिलती है आज हम आपको इन्हीं चमत्कारिक मंदिरों में से एक महाबली हनुमान जी के मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है दरअसल, इस मंदिर में महाबली हनुमान जी खड़ी नहीं बल्कि लेटी हुई अवस्था में पाए जाते हैं जी हां, आप बिलकुल सही सुन रहे हैं यहां महाबली हनुमान जी लेती हुई अवस्था में अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं यह मंदिर इलाहाबाद शहर में स्थित है, इलाहाबाद कुंभ मेले के लिए दुनिया भर में जाना जाता है संगम नगरी में गंगा स्नान को सनातन संस्कृति में काफी फलदाई माना गया है कुम्भ के अतिरिक्त भी यहां अनेक धार्मिक उत्सवों पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है इसी संगम नगरी में गंगा किनारे स्थित हनुमान जी का ऐसा धाम है जहां के अगर दर्शन ना किए तो गंगा स्नान को अधूरा माना जाता है इस मंदिर का नाम “बड़े हनुमान जी” का मंदिर है यह इलाहाबाद के कोतवाल के नाम से प्रसिद्ध है इलाहाबाद के इस धार्मिक स्थल में हनुमान जी की एक ऐसी प्रतिमा है जो खड़ी नहीं बल्कि लेटी हुई अवस्था में विराजमान है यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जिस स्थान पर महाबली हनुमान जी को लेटी हुई अवस्था में देखा जा सकता है।

महाबली हनुमान जी के इस मंदिर में दक्षिण मुखी हनुमान जी की यह प्रतिमा 20 फीट लंबी है और यह धरातल से 6 से 7 फीट नीचे है इनको बड़े हनुमान जी, किला वाले हनुमान जी और बांध वाले हनुमान जी के नाम से जाना जाता है पुराणों में बड़े हनुमान जी का उल्लेख मिलता है ऐसा कहा जाता है कि लंका पर जीत हासिल करने के पश्चात महाबली हनुमान जी थकान महसूस करने लगे थे तब माता सीता ने उन्हें विश्राम करने के लिए कहा था यह वही स्थान है जहां पर महाबली हनुमान जी ने विश्राम किया था और यहां पर लेटे थे, एक अन्य मान्यता के अनुसार एक धनवान व्यापारी ने हनुमान जी के इस प्रतिमा का निर्माण कराया था वह व्यापारी इसे लेकर देशभर में घूमा करते थे परंतु इस स्थान पर आकर रुक गए थे कई वर्षों पश्चात बाला गिरी नामक संत को इसी स्थान पर जब यह मूर्ति मिली तो उन्होंने इस जगह पर बड़े हनुमान जी का मंदिर बनवाया था।

इस मंदिर के प्रति लोगों की यह मान्यता है कि इनके बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ है जो भक्त अपने सच्चे मन से इस मंदिर में अपनी मनोकामना मांगता है उसकी मनोकामनाएं महाबली हनुमान जी अवश्य पूरी करते हैं हर वर्ष सावन के महीने में गंगा माता का जलस्तर जब बढ़ जाता है तो वह हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं ऐसा कहा जाता है कि गंगा जी का जल स्तर तब तक बढ़ता रहता है जब तक कि वह बड़े हनुमान जी के चरणों का स्पर्श ना करें उसके पश्चात जल स्तर सामान्य हो जाता है।

गंगा के किनारे बड़े हनुमान जी लेटी हुई अवस्था में अपने भक्तों को कभी भी खाली हाथ नहीं वापस जाने देते हैं महाबली हनुमान जी अपने भक्तों को साहस से परिपूर्ण करके भेजते हैं यही साहस हमें मुसीबतों से लड़ने में सहायता करता है।

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