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अगर आप ट्रायल रूम में दुर्घटना का शिकार होने से बचना चाहती हैं तो रखें इन बातों का ख़याल!

पहले समय में जब कोई कपड़े खरीदने के लिए कहीं जाता था तो कपड़े लेने के बाद उसे पहनकर देख नहीं सकता था, खासतौर पर महिला। तब वह कपड़े लेने के बाद उसे घर लाती थी और उसे नापती थी, अगर साइज़ छोटी बड़ी हुई तो दुसरे दिन वापस करती थी। गाँवों में आज भी ऐसा ही होता है। लेकिन शहरों में मॉल कल्चर आ जाने से लोगों ने दुकानों से कपड़े खरीदना लगभग बंद ही कर दिया है। जो लोग मॉल से कपड़े खरीदते हैं, उनको मॉल के अन्दर ही कपड़े को नापने के लिए ट्रायल रूम बनाए गए हैं। ट्रायल रूम एक छोटे से रूम जैसा होता है, जिसमे शीशा लगा होता, ताकि आप कपड़े को पहनने के बाद खुद ही देख सकें।

कुछ दिनों पहले बहुत सी ऐसी घटनाओं के बारे में सुना गया है, जिसमे ट्रायल रूम में कैमरे लगे होने की बात कही गयी। कई बार ट्रायल रूम में जो शीशा लगा होता है, वह पारदर्शी होता है, जिससे बाहर से कोई भी देख सकता है। अगर आप भी ट्रायल रूम में जाती हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखें, आप दुर्घटना का शिकार होने से बच सकती हैं।

ट्रायल रूम में रखें इन बातों का ध्यान:

ट्रायल रूम में रखें इन बातों का ध्यान

*- टॉर्च से शीशा चमकाएं:

कई बार ट्रायल रूम में लगा हुआ शीशा पारदर्शी होता है, और उसमे जो भी कपड़ा बदल रहा होता है उसे कोई भी बाहर से देख सकता है। इसलिए अगर आप ट्रायल रूम में जाती हैं तो सबसे पहले जाते ही ट्रायल रूम की लाइट को बंद कर दें। उसके बाद अपने मोबाइल की लाइट जला के ट्रायल रूम में लगे शीशे पर चमकाएं। अगर शीशा पारदर्शी हुआ तो लाइट दूसरी तरफ चली जाएगी, अगर नहीं गया तो समझिये ट्रायल रूम सुरक्षित है।

ट्रायल रूम में रखें इन बातों का ध्यान

*- ट्रायल रूम के शीशे को ठकठकायें:

जब आप किसी भी खोखली जगह में ठक- ठक की आवाज करती हैं, तो उसकी आवाज अलग ही आती है। लेकिन जब आप किसी ठोस चीज पर ठक- ठक करती हैं तो उसकी आवाज सामान्य सी लगती है। अगर आप ये जानना चाहती हैं कि ट्रायल रूम में लगे शीशे के साथ कोई कारस्तानी तो नहीं की गयी है, तो उसपर ठक- ठक की आवाज करें, अगर वह खोखला होगा तो खुद-ब-खुद पता चल जाएगा। कई बार शीशे के बाहर से कोई देख रहा होता जिसका पता अन्दर वाले व्यक्ति को नहीं लगता है। वह इसका गलत फायदा भी उठाता है। अगर शीशा खोखला नहीं है तो, सब ठीक है।

*- ट्रायल रूम की लाइट से शीशे की जाँच:

कभी- कभी किसी ट्रायल रूम में बहुत तेज रोशनी वाली लाइट लगी होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है. जब शीशा पारदर्शी होता है। इससे बाहर खड़े व्यक्ति को सबकुछ साफ़- साफ़ दिखाई देता है। अन्दर खड़े व्यक्ति को इस बात की भनक तक नहीं लगती है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो समझ जाइए की कुछ तो गड़बड़ है। ऐसे में वहाँ से निकलना ही आपके लिए बेहतर है।

*- शीशे पर उंगली रखें:

कभी- कभी किसी ट्रायल रूम में जो शीशा लगा होता है, वह पारदर्शी होता है लेकिन इसका पता बहुत ही कम लोगों को होता है। अगर आप भी जानना चाहती हैं तो बस आपको अपनी ऊँगली शीशे पर रखनी है। दरअसल जब आप किसी पारदर्शी शीशे पर अपनी ऊँगली रखती हैं तो प्रतिबिम्ब में आपकी ऊँगली चिपक जाती है, जबकि अगर असली शीशा है तो उसमे प्रतिबिम्ब में आपकी ऊँगली के बीच शीशे की मोटाई जितनी खाली जगह दिखती है। अगर आपकी ऊँगली चिपक जाती है तो समझिये ट्रायल रूम सुरक्षित नहीं है।

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