अध्यात्म

कलयुग का ये चमत्कारिक पत्थर जिसको उठाना है नामुमकिन, उठाने वाले की पलट जाती है किस्मत

आप सभी लोगों ने बहुत से मंदिरों के चमत्कारों के बारे में सुना होगा और उन मंदिरों की विशेषताओं के बारे में भी देखा यह सुना होगा परंतु आज हम जिस चीज के बारे में बताने वाले हैं उसके बारे में जानकर आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे आप सभी लोगों ने रामायण की कहानी तो अवश्य सुनी होगी और आपने रामायण में अंगद के बारे में जरूर सुना होगा अंगद बाली का पुत्र था इसने रावण की भरी सभा में सभी योद्धाओं को यह चुनौती दे दी थी कि कोई मेरे पैर इस स्थान से उठा कर दिखा दे परंतु वहां पर मौजूद अच्छे-अच्छे योद्धा भी अंगद के पैर को हिला नहीं पाए थे क्योंकि वहां पर मौजूद योद्धाओं ने भगवान श्री राम जी का नाम नहीं लिया था ठीक उसी प्रकार कलयुग में भी एक ऐसा पत्थर मौजूद है जो दिखने में मात्र 2 फीट का है और इसकी गोलाई लगभग 1 फीट की है जब कोई इसको देखता है तो उसके मन में यही विचार रहता है कि मैं इसको एक हाथ से उठाकर फेंक सकता हूं परंतु इसको उठाने में अच्छे-अच्छे के पसीने निकल जाते हैं।

जी हां, आप बिल्कुल सही सुन रहे हैं इस चमत्कारिक पत्थर को उठाना हर किसी के बस की बात नहीं है अक्सर लोग इसको देखकर यही सोचते हैं कि इस छोटे से पत्थर को मैं एक हाथ से उठा सकता हूं लेकिन इस पत्थर को उठाने की जैसे ही कोशिश करते हैं उनका सारा शरीर पसीने में भीग जाता है परंतु यह पत्थर अपने स्थान से बिल्कुल भी हिलता नहीं है इस पत्थर के बारे में विज्ञान भी अभी तक कुछ बता नहीं पाया है परंतु ऐसा माना जाता है कि अगर इस पत्थर को उठाना है तो देवों के देव महादेव का जाप करना होगा तब आप इस पत्थर को मात्र एक उंगली से ही उठा पाएंगे।

आप लोग इस जानकारी को सुनने के बाद सोच में जरूर पड़ गए होंगे और आपको शायद इस बात पर यकीन भी नहीं आ रहा होगा, आप सोच रहे होंगे कि 21वीं सदी में इस बात पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल है परंतु यह बात बिल्कुल सत्य है दरअसल, यह चमत्कार शिव के धाम पिथौरागढ़ में है यह अद्भुत पत्थर दिल्ली से लगभग 550 किलोमीटर दूर स्थित उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मोस्टा मानो मंदिर में है यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि इस पत्थर में बहुत सी अलौकिक शक्तियां मौजूद है जो व्यक्ति इस पत्थर को अपने कंधे तक उठा लेता है उसका भाग्य समझ लो पलट ही जाता है यह मंदिर चंडाक वन में स्थित है मोस्टा मानो मंदिर में देवता भगवान भोलेनाथ का एक स्वरुप है परंतु चंडाक वन का नाता माता काली से है।

पुराणों के अनुसार माने तो माता काली को चुनौती देने के लिए शुंभ-निशुंभ ने एक शक्तिशाली राक्षस चंड मुंड को उनके पास भेजा था माता काली ने चामुंडा का रूप धारण करके चंड मुंड का संघार कर दिया था ऐसा माना जाता है कि चंडाक वन ही वह स्थान है जहां चंड मुंड का वध किया गया था यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अद्भुत पत्थर नेपाल से लाया गया है नेपाल से लाकर इसे जहां पर रखा गया है वहां से आज तक कोई भी उस पत्थर को हिला भी नहीं पाया है अगर आप इस अद्भुत पत्थर को देखेंगे तो यह बिल्कुल शिवलिंग की तरह ही नजर आएगा यह मंदिर के एक कोने में रखा गया है।

यहां के अद्भुत पत्थर के अलावा भी इस स्थान पर एक झूला मौजूद है जिसको यहां के लोग देवलोक का झूला कहते हैं यह झूला पहले देवदार के पेड़ से बना था परंतु बाद में इसे लोहे से ढाल दिया गया था ऐसा माना जाता है कि इस झूले में देवियां झूला झूलती है जो व्यक्ति सावन के महीने में यह झूला झूलता है उसको पुण्य की प्राप्ति होती है।

Back to top button