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अमेरिका ने बंद की पाकिस्तान को दी जानें वाली मदद, कहा आज भी पाकिस्तान दे रहा आतंकियों को पनाह

पाकिस्तान के बारे में किसी को कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है। पाकिस्तान को पूरे विश्व में आतंकियों के पनाहगाह के रूप में जाना जाता है। बार-बार मना करने के बाद भी पाकिस्तान ने अपनी नीतियों में ज़रा भी बदलाव नहीं किया। इसी वजह से शनिवार को अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जानें वाली 300 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2130 करोड़ रुपए की मदद को रद्द कर दिया है। इसके साथ ये भी कहा कि इस्लामाबाद आतंकियों पर सख़्त कार्यवाई करने में नाकाम रहा।

जानकारी के अनुसार इस सहायता राही को कोएलिशन सपोर्ट फ़ंड (सीएसएफ) के नाम से दिया गया था। पाकिस्तान में दी जानें वाली आतंकियों की ढील की वजह से इस साल जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने नाराज़गी जताई थी। डॉनल्ड ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान ने आतंकियों के ख़िलाफ़ कोई सख़्त कार्यवाई नहीं कि और वह लगातार जूझ बोल रहा है। ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि बीते 17 साल से अफगानिस्तान में तालिबान के ख़िलाफ़ में अमेरिका की अगुवाई वाली सेनाएँ युद्ध लड़ रही हैं और पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है।

एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, ‘अमेरिकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने कहा था कि अगर पाकिस्तान आतंकियों के ख़िलाफ़ कोई ठोस कार्यवाई करता है तो उसे 300 मिलियन डॉलर का सीएसएफ दिया जाएगज सकता है। लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा कुछ नहीं किया।’ अमेरिकी रक्षामंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता लेफिनेंट कर्नल करों फोकनर ने कहा कि इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जानें वाली 500 मिलियन डॉलर की सहायता को रद्द कर दी थी। कुल मिलाकर अमेरिका 5680 करोड़ रुपए की सहायता राशि रद्द कर चुका है।

मिली जानकारी के अनुसार अमेरिका ने पाकिस्तान को मदद ना देने का फ़ैसला उस समय किया जब अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो और मिलिट्री अफ़सर जोड़ेफ डनफ़ोर्ड सितम्बर में पाकिस्तान के दौरे पर जानें वाले हैं। इस दौरान पाकिस्तान से बातचीत का मुख्य मुद्दा आतंकियों के ऊपर की जानें वाली कार्यवाई ही होगी। अमेरिका के इस रवैए पर एक अमेरिकी थिंक टैंक स्टिमसन सेंटर के अनुसार, पाकिस्तान को मदद ना देने का फ़ैसला यह दिखाता है कि अमेरिका इस्लामाबाद पर दबाव बढ़ाना चाहता है। पाकिस्तान ने अब तक आतंकियों के ऊपर कोई ऐसी कार्यवाई नहीं की है, जैसा पाकिस्तान चाहता है।

दोनो देशों के सैन्य संबंधों में आ रही गिरावट का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका ने पाकिस्तानी सैन्य अफ़सरों के सैन्य और शैक्षणिक कार्यक्रम में भी कटौती कर दी है। पाकिस्तान ने लगातार कम हो रही अपनी विदेश मुद्रा भंडार की वजह से फ़ैसला लिया है कि वह अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष या चीन जैसे अपने मित्र देशों से बेलआउट पैकेज लेगा। इमरान खान ने कहा था कि अमेरिका को पाकिस्तान के आसमान से ड्रोन हमले बंद करने चाहिए। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले भाषण में इमरान खान ने कहा था कि वह वाशिंगटन के साथ ऐसा रिश्ता चाहते हैं, जिससे दोनो देशों का फ़ायदा हो सके।

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