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राजस्थान में कांग्रेस का बढ़ रहा है कद, एक बार फिर बीजेपी को किया पस्त

राजस्थान में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर से जीत हासिल हुई है, जिससे कांग्रेस का कद राजस्थान में बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, ऐसे में बीजेपी के लिए ये खतरे की घंटी है। बता दें कि लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी का पत्ता तो काटा ही था, लेकिन एक बार फिर निकाय उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को पस्त कर दिया, जिससे यही कहा जा सकता है कि हवा का रूख धीरे धीरे बदल रहा है। आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?

जी हां, राजस्थान में हुए स्थानीय निकाय उपचुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की है। बता दें कि जिला परिषद की छह सीटों के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 4 सीटें जीत ली है, तो वहीं बीजेपी के हाथ में केवल एक ही सीट आई, जिसके बाद से सियासी गलियारों में हलचलें मची हुई है। और एेक सीट अन्य के खातों में गई है। उपचुनाव के नतीजों पर अगर गौर किया जाए तो यहां बीजेपी का कद लगातार छोटा होता जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का कद बढ़ रहा है।

वहीं अगर पंचायत समिति की 21 सीटों की बात करें तो यहां भी कांग्रेस ने जहां 12 सीटों पर जीत दर्ज की है,  तो वहीं बीजेपी के खाते में सिर्फ 8 सीटें ही आई हैं, इतना ही नहीं नगर निकाय सदस्य की 6 सीटों में से कांग्रेस ने 4 सीटें जीतीं हैं, वहीं बीजेपी को सिर्फ दो सीटों ही मिली। इससे पहले लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था, जोकि पार्टी हाईकमान के लिए टेंशन की खबर है, क्योंकि राजस्थान में इसी साल चुनाव होने वाले हैं।

राजस्थान में कांग्रेस का बढ़ता कद

राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो कांग्रेस जमीनी स्तर पर राजस्थान में धीरे धीरे मजबूत हो रही है, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी कमजोर होती जा रही है, जिसका सीधा असर विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है। जानकारों की माने तो कि आने वाले विधानसभा चुनाव में अगर हालात ऐसे ही  रहेंगे तो बीजेपी के हाथ से राजस्थान फिसल सकता है, क्योंकि जनता का मूड कांग्रेस की तरफ बनता हुआ दिखाई दे रहा है।

दरअसल, बीते दिनों से वसुंधरा सरकार तानाशाही का रवैया अपना रही है, जिसकी वजह से बीजेपी का कद कम हो रहा है। बता दें कि राजस्थान में अब बीजेपी की जीत सिर्फ पीएम मोदी के सहारे ही है, क्योंकि अब वहीं एक है, जो राजस्थान में बीजेपी की सत्ता को बचा सकते हैं। याद दिला दें कि सूबे में चुनाव साल के आखिरी में है।

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