स्वास्थ्य

प्लास्टिक के बोतल में पानी पीना है बेहद खतरनाक, हो सकते हैं कैंसर और बांझपन जैसे खतरनाक बिमारी

समय के साथ इंसान ने जितनी गति से प्रगाति की है उतने ही तेजी से वो प्रकृति से दूर भी हो चला है .. खानपान से लेकर रहन-सहन सब कुछ आधुनिक हो चुका है.. और ऐसे में प्रगति और आधुनिकता का कहीं ना कहीं खामियाजा भी भगुतना पड़ता है । इसी आधुनिक जीवनशैली की बानगी है कि आज प्लास्टिक का इस्तेमाल हमारे रोजमर्रा के कामों में इतना अधिक होने लगा है कि वो धीरे-धीरे हमारे लिए जानलेवा बन चुका है।

सबसे अधिक चिंताजनक बात ये है कि प्लास्टिक के चीजों का प्रयोग सबसे अधिक खानपान के लिए किया जाता है .. खासकर पानी पीने के लिए आजकल अधिकांश लोग प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल करने लगे हैं जबकि ये हमारे सेहत पर सीधा प्रभाव डालता है जिसके परिणामस्वरूप कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं घेर लेती है। ऐसे में इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानना हम सभी के लिए बेहद जरूरी है और आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं..

दरअसल भारत में जिस तरह के प्लास्टिक के बोतल इस्तेमाल किए जाते हैं उनके निर्माण में बाइफेनॉल ए का प्रयोग किया जाता है जबकि दूसरे देशों में इसका प्रयोग पूरी तरह से वर्जित है। आपको बता दें कि बाइसफेनॉल ए यानी कि बीपीए एक ऐसा केमिकल है जिसकी वजह से तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न् होती है .. यही वजह है कि प्लास्टिक की बोतलों का लगातार प्रयोग करने से दिल और दिमाग से सम्बंधी बीमारियों से लेकर डायबिटीज और प्रेग्नेंसी में समस्या हो सकती है । साथ ही इससे कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से समझाते हैं।

कैंसर का खतरा

दरअसल स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अधिक तापमान या धूप में जब पानी की बोतल गर्म होती है तो उसके प्लास्टिक से डाई ऑक्सिन का स्राव होता है और ये डाइ ऑक्सिन पानी के साथ हमारे शरीर में प्रवेशकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।

दिमाग के लिए हानिकारक

प्लास्टिक के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली बाइसफेनॉल ए यानी कि बीपीए से दिमाग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है जिससे इंसान की याद्दाश्त और सोचने-समझने की शक्ति कमजोर होती है। एक स्वास्थ्य शोध के मुताबिक प्लास्टिक की बोतल में इस्तेमाल हो रहे बीपीए की वजह से अल्जाइमर्स का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है।

प्रजनन क्षमता पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव

प्लास्टिक में इस्तेमाल हो रहे बीपीए सिर्फ दिमाग पर ही नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता है बल्कि ये प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करता है.. इससे महिला और पुरुष दोनों के गुणसूत्रों की संख्या कम होती है और साथ ही इसकी वजह से शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही प्रभावित होते हैं। ऐसे में अगर आप बांझपन से बचे रहना चाहते हैं तो आज ही प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना बंद कर दें ।

गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदायक

प्लास्टिक में मौजूद बीपीए गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद नुकसानदायक साबित होता है .. दरअसल ये गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को प्रभावित करता है.. यही वजह है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को प्लास्टिक के बोतल इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी जाती है।

दिल से सम्बंधित स्वास्थ्य समस्याएं

प्लास्टिक की बोतल के लगातार इस्तेमाल से दिल से सम्बंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है .. दरअसल बीपीए केमिकल्स का प्रभाव दिल को कमजोर बनाता है.. जिससे शरीर में रक्त संचार ठीक ढंग से नहीं हो पाता है । जिससे दिल से लेकर तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में सेहतमंद रहने के लिए बेहद जरूरी है कि आप प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल जल्द से जल्द बंद कर दें।

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