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यहां रात को लड़कियों को घर से बाहर भेजा जाता है निर्वस्त्र, वजह जानेंगे तो आप हो जाएंगे हैरान

लड़कियों को भेजा जाता है निर्वस्त्र: देश भले ही आज चांद पर पहुंच गया हो, लेकिन लोगों के बीच से दकियानूसी ख्यालातों का खात्मा नहीं हो रहा है। जी हां, देश के कोने कोने न जाने कितने अंधविश्वास फैले हैं, जिसकी वजह लोग न जाने क्या क्या करते फिरते हैं? आज हम आपको ऐसे ही एक अंधविश्वास से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसकी वजह से मां बाप खुद ही अपनी बेटियों को बिना कपड़ें के घर से बाहर जाने को कहते हैं, इसके पीछे की वजह क्या है, जानने के लिए आपको हमारे इस रिपोर्ट को आखिरी तक पढ़ना पड़ेगा।

दरअसल, बिहार के एक गाँव मे जहां अगर बारिश नहीं होती यानि अगर सूखा पड़ जाए तो उसके लिए लोग अजीबोगरीब तरीके अपनाते दिखाई देते हैं। भारत दुनिया भर में खेती के लिए मशहूर है, लेकिन यहां की खेती पूरी तरह से कुदरत पर निर्भर होती है, ऐसे में अगर बारिश ज्यादा या कम आए तो खेती पर बुरा असर होता है, ऐसे में फसल के साथ साथ किसानों को दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज होना पड़ता है।

 

सूखे से निपटने के लिए लोग न जाने कितने तरीके अपनाते हैं, इसके बावजूद अगर इससे छुटकारा नहीं मिलता है, तो किसी न किसी अंधविश्वास के शिकार भी हो जाते हैं, जोकि किसी भी नजरिये से उचित नहीं है। तो अब हम आपको उस राज्य के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां लड़कियों को रात बिन कपड़ों के घर से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जाता है?

लड़कियों को भेजा जाता है निर्वस्त्र खेत को :

जी हां, देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य यानि बिहार। बिहार के एक गाँव में में आज भी ये मान्यता है कि अगर लड़कियों को बिना कपड़ों के भेजा जाए तो भगवान नाराज नहीं होते हैं। यहां दशकों से ये परंपरा रही है कि अगर सूखा पड़े तो लड़कियों को रात को यानि सूरज ढलने के बाद लड़कियों को बिना कपड़े बाहर भेजा जाता है, जिसे भगवान खुश हो जाते हैं, और बारिश आने लगती है।

अटपटी मान्यता क्या है?

दरअसल, मान्यता के अनुसार अगर लड़कियां खेत में कपड़े पहनकर गई तो देवता नाराज हो जाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सूखे का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि यहां के लोग बारिश और अच्छी पैदावार के लिए लोग अपनी बेटियों को बिना कपड़ोंं के बाहर जाने के लिए मजबूर करते हैं। ऐसे में यहां रोजाना रात को लड़कियां बिना कपड़ो के बाहर जाती है, जिससे देवता नाराज न हो।

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