अध्यात्म

हर रोज नहाते समय करें सिर्फ यह एक काम, बुरी नजर और दुर्भाग्य रहेगा आपसे कोसों दूर

नहाना हर इंसान के जीवन का पहला काम होना चाहिए। सुबह नृत्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हर व्यक्ति पहले स्नान ही करता है। हालांकि कुछ लोगों पर यह बात लागू नहीं होती है। स्नान करने से ना केवल शरीर की सफाई होती है बल्कि पुरे दिन मन भी प्रसन्न रहता है। इस वजह से व्यक्ति का हर काम में मन भी लगता है। स्नान करने से कई तरह के शारीरिक लाभ होते हैं। शास्त्रों में भी स्नान करने के फायदों के बारे में बताया गया है। नहाने के वैज्ञानिक लाभ भी हैं।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में हर जरुरी कार्य के लिए कोई ना कोई मंत्र बताया गया है। नहाते समय भी मन्त्रों के जाप के बारे में कहा गया है। मंत्रों का जाप करते हुए स्नान करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। नहाते समय भगवान का भजन, मंत्र या उनके नाम का भी जाप किया जा सकता है। ऐसा करने से आप बुरी नजर और दुर्भाग्य से जीवनभर बचे रह सकते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि नहाते समय किस मंत्र का जाप करना चाहिए।

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

अगर आप नहाते समय पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना और सरस्वती के नाम का जाप करते हैं तो आपको घर बैठे ही पवित्र नदियों में स्नान करने का पुण्य मिल जाता है। जिस तरह से तीर्थस्थलों पर स्नान करने से बुरी नजर और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है, ठीक वैसा ही फल नहाते समय इस मंत्र के जाप से घर पर भी पाया जा सकता है। इस मंत्र के जाप से नकारात्मक शक्तियों से भी बचाव होता है। इसलिए हर व्यक्ति को स्नान करते समय इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।

कौन सा स्नान होता है सबसे बेहतर:

हिन्दू धर्मशास्त्रों में कई तरह के स्नान के बारे में बताया गया है। गरुण पुराण के अनुसार समय के हिसाब से 4 तरह के स्नानों के बारे में बताया गया है। यह स्नान ब्रह्म स्नान, देव स्नान, ऋषि स्नान और दानव स्नान है। इन सभी में से सबसे पवित्र ब्रह्म स्नान होता है। लेकिन दानव स्नान भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इससे व्यक्ति को दोष लगता है।

*- ब्रह्म स्नान:

सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जो स्नान भगवान का ध्यान करते हुए किया जाता है, वह ब्रह्म स्नान कहलाता है। इसका समय सुबह 4-5 बजे के आस-पास होता है। ऐसा स्नान करने वाले लोगों को भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उनके जीवन से दुखों का हमेशा के लिए नाश हो जाता है।

*- देव स्नान:

आज के समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को सूर्योदय के बाद ही स्नान करते हुए देखा जा सकता है। जो लोग सूर्योदय के बाद किसी नदी में या घर पर नदियों के नामों का जाप करते हुए स्नान करते हैं उसे देव स्नान कहा जाता है। यह स्नान करने वाला व्यक्ति भी जीवन में दुखों से दूर रहता है।

*- ऋषि स्नान:

जिस समय आकश में तारे दिखाई दे रहे हों, उस समय जो स्नान किया जाता है, उसे ऋषि स्नान कहा जाता है। प्राचीन समय में ऋषि महात्मा इसी समय स्नान करते थे। आज के समय में भी कुछ ऋषि-महात्मा इसी समय स्नान करते हैं।

*- दानव स्नान:

आजकल के समय में ज्यादातर लोग सूर्योदय के बाद चाय-नाश्ता करने के बाद आराम से नहाते हैं। कई लोग तो खाना खानें के बाद स्नान करते हैं। इस तरह के स्नान को दानव स्नान कहा जाता है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक होता है।

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