अध्यात्म

घर में भूलकर भी ना रखें इन देवताओं की मूर्ति, कृपा के बजाए मिलती है हानि

सनातन धर्म में मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है, प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं की मूर्तियों की आराधना करने की परम्परा चली आ रही है। मंदिरों के साथ लोग घरों में भी अपने ईष्ट देव की मूर्ति या प्रतिमा रखते हैं और इस विश्वास के साथ उनकी स्तुति करते हैं घर में देवी-देवता की कृपा बनी रहेगी। लेकिन आपको बता दें कि शास्त्रों में कुछ ऐसे देवता भी बताए गए हैं जिनकी आराधना वैसे तो फलदायी होती है पर उनकी मूर्ति या प्रतिमा कभी घर में स्थापित नही करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसे देवताओं की इनकी मूर्तियां घर में रखने से कृपा कम नुकसान होने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं।

वैसे तो भैरव भगवान शिवजी के ही अवतार माने जाते हैं और उनका पूजा-अर्चना विशेष फलदायी भी होती है लेकिन घर में इनकी मूर्ति या तस्वीर रखना अशुभ माना जाता है। दरअसल धार्मिक मान्यताओं की माने तो भैरव बाबा की मूर्ति हमेशा किसी खुले स्थान में ही स्थापित की जाती है और इसके साथ ही दूसरी वजह ये है कि भैरव भगवान, तंत्र के देवता हैं, इसलिए इनकी पूजा विशेष तौर पर तंत्र कर्म के लिए की जाती है ना कि घरों में पूजा-अर्चना के लिए।

नटराज भी भगवान शिव का एक रूप हैं जिनकी मूर्ति अधिकतर लोग घरों में संस्कृति और कला के प्रतीक स्वरूप रखते हैं, खासकर नृत्य करते नटराज की मूर्ति लगभग हर क्‍लासिकल डांसर के घर में रखी मिलती है लेकिन वास्तव में ऐसा नही करना चाहिए। दरअसल नटराज की प्रतिमा के दो पहलू होते हैं.. एक ओर शिव अपने नृत्य में कला का रूप दिखा रहें हैं तो वहीं दूसरी ओर यह नृत्‍य विनाश का प्रतीक भी माना जाता है और देखा जाए तो नटराज की मूर्ति में शिवजी का रौद्र यानी क्रोधित रूप दिखाई देता है। ऐसे में शिवजी के क्रोधित स्वरूप को घर में रखने से अशांति बढ़ती है। वास्तु के अनुसार भी नटराज की मूर्ति को अपने घर पर रखने से बचना चाहिए।

वैसे तो शास्त्रों और ज्योतिष में शनि देव के क्रोध से बचने के लिए उनकी पूजा अर्चना करने का सुझाव दिया जाता है लेकिन वहीं ये भी मान्यता है कि शनि देव की मूर्ति या तस्वीर कभी भी घर में नही लगानी चाहिए।  दरअसल घर में शनि देव की मूर्ति रखना अशुभ माना जाता है। ऐसे में इनकी पूजा घर के बाहर किसी मंदिर या देव स्थल पर ही करना चाहिए और इनकी मूर्ति घर में लाने से बचना चाहिए।

राहु-केतु के बारे में ये पौराणिक मान्यता है कि ये पहले असुर थे और संमुद्र मंथन से प्राप्त अमृत को इन्होंने देवताओं के साथ ग्रहण कर लिया था और इसी कारण ये अमर हो गए और देवता भी माने गए। लेकिन शनि देव की तरह ही राहु-केतु की मूर्ति या तस्वीर को घर में रखना अशुभ माना जाता है। वैसे तो राहु के बुरे प्रभाव से मुक्ति के लिए राहु की स्तुति का विधान है लेकिन इनकी पूजा भी घर से बाहर करने पर ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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