समाचार

चारों तरफ से घिरा पाकिस्तान, भारत के इस कदम से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हो सकता है सर्वनाश!

दिल्लीः उरी हमले के बाद तक पाकिस्तान ने शायद सोचा होगा कि भारत इस बार भी पहले के हमलों कि तरह शांत रह जाएगा। पर इस बार मोदी सरकार पाकिस्तान से भारत में फैलाएं गए अबतक के सभी आतंक का बदला लेने के मुड़ में दिख रही है।  उड़ी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को डिप्लोमेसी से अलग-थलग करने की पूरी योजना बना ली है। Pakistan’s economy

पाक के “मोस्ट फेवर्ड नेशन” के स्टेटस पर खतरा  –  

29 सितंबर को नरेंद्र मोदी पाक को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का स्टेटस दिए जाने का रिव्यू करेंगे। इसमें फॉरेन और कॉमर्स डिपार्टमेंट के अफसर हिस्सा लेंगे। इससे पहले सोमवार को सिंधु जल समझौते पर हुई मीटिंग में मोदी ने कहा था, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” खबरें ये भी है कि भारत, पाकिस्तान से MFN स्टेटस छीन सकता है। 1996 में भारत ने पाक को MFN का दर्जा दिया था।

यह दर्जा विश्व व्यापार संगठन के शुल्क एवं व्यापार सामान्य समझौते के तहत दिया गया। भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश हैं। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने का मतलब है कि दोनों ही देश एक दूसरे को तथा डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों के साथ अनुकूल व्यापारिक भागीदार की तरह व्यवहार करेंगे।

नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा है कि अगर भारत ने सिंधु समझौता तोड़ा तो पाक इंटरनेशनल कोर्ट जाएगा।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को है खतरा –

उद्योग मंडल एसोचैम के अनुसार वर्ष 2015-16 में भारत के 641 अरब डॉलर के कुल वस्तु व्यापार में पाकिस्तान का हिस्सा मात्र 2.67 अरब डॉलर का है। भारत से इस पड़ोसी देश को 2.17 अरब डॉलर का निर्यात किया जाता है जो कि कुल निर्यात कारोबार का मात्र 0.83 प्रतिशत है जबकि पाकिस्तान से होने वाला आयात 50 करोड़ डॉलर यानी कुल आयात का 0.13 प्रतिशत ही होता है।

प्रधानमंत्री ने सोमवार (26 सितंबर) को 56 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा की थी। समीक्षा बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि संधि के तहत भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के अधिकतम पानी का इस्तेमाल करेगा। सिंधु जल संधि की समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस. जयशंकर, जल संसाधन सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में इस बात पर भी गौर किया गया कि सिंधु जल आयोग की बैठक आतंक मुक्त वातावरण में ही हो सकती है।

Back to top button