राजनीति

अमेरिका ने रोकी पाकिस्तान की आर्थिक मदद, जानिए क्यों इसकी वजह से पाक में आ सकती है तबाही

नई दिल्ली – अमेरिका ने पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 255 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता रोककर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। आपको बता दें कि इस कार्रवाई से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने पाक को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को अपनी सरकार का एक गलत कदम बताया था। ट्रंप के इस ट्वीट के अगले ही दिन पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को रोकने की घोषणा कर दी गई। ट्रंप ने अपने ट्वीट में पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर झूठ बोलने और अमेरिका को मूर्ख बनाने की बातें कही थी। इसलिए आज हम आपको बताते हैं कि अमेरिका के इस कदम से पाक को कितने बुरे दिन देखने पड़ सकते हैं।

पाकिस्तान जैसे आर्थिक रुप से कमजोर देश के लिए अमेरिका और चीन जैसे देशों से मिलने वाली आर्थिक मदद बहुत जरुरी है। अमेरिका की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद ही पाकिस्तानी पीएम शाहिद खाकन अब्बासी ने आपातकालीन बैठक बुलाई है और अमेरीकी राजदूत डेविड हेल को बातचीत के लिए भी बुलाया है। अमिरका के इस कदम से पाकिस्तान में जगह-जगह ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया जा रहा है।

पाकिस्तान को अमेरिका से आर्थिक मदद मिलनी इसलिए जरुरी है क्योंकि पाकिस्तान के ऊपर इस वक्त करीब 79.2 बिलियन डॉलर या 5 लाख करोड़ रुपये का विदेशी कर्ज है। इसके अलावा, पाकिस्तान का नाम उस लिस्ट में भी शामिल है जिसमें दुनिया की 10 ऐसो देशों के नाम है जिन्हें विदेशी कर्ज न चुकाने के कारण डिफॉल्ट किया जा सकता है। यानि अगर अमेरिका पाक को आर्थिक मदद नहीं करता तो वह अपना विदेशी कर्ज चुका नही पायेगा जिसकी वजह से वह डिफॉल्टर घोषित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पाक कि जनसंख्या विश्व की छठी सबसे बड़ी जनसंख्या है। पाकिस्तान में बेरोजगारी की बहुत अधिक है।

ऐसी स्थिती में आर्थिक मदद न मिलने से पाक की हालत बिल्कुल खराब हो जायेगी। आपको बता दें कि अमेरिका ने पाक को पिछले 15 सालों में करीब 32 अरब डॉलर की आर्थिक मदद ले चुका है। अमेरिका ने यह मदद आतंकवाद का खात्मा करने के लिए दिया था। अमेरिका पाकिस्तान से आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई न करने से नाराज है। अमेरिका लश्कर-ए-ताइबा के संस्थापक आतंकी ना हाफिज सईद पर कार्रवाई न करने से भी नाराज है। आपको बता दें कि ट्रंप की इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसे आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का साथ देने से पाक को सिर्फ ‘अपशब्द और अविश्वास’ ही मिला है।

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