राजनीति

पाकिस्तान सरकार की आतंकवाद के खिलाफ नई पहल,अब से नहीं ले सकेगा हाफिज़ सईद का संगठन चंदा

इस्लामाबाद: सभी लोग यह जानते हैं कि पाकिस्तान की नियत आतंकवाद को लेकर आज से पहले क्या थी। पाकिस्तान सरकार आतंकियों को संरक्षण देने और उनकी मदद करने के लिए मशहूर थी। समय-समय पर आतंकियों का इस्तेमाल करके भारत में अशांति फैलाने का भी काम करती रही है। लेकिन अब लगता है पाकिस्तान ने खुद को बदलने की ठान ली है। अब पाकिस्तान ने क्कुह ऐसा करने का विचार किया है, जो आज से पहले पाकिस्तान में कभी नहीं हुआ था।

आपको बता दें पाकिस्तान ने वित्तीय नियामक निकाय ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज़ सईद के संगठन जमात-उ-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के चंदे वसूलने पर रोक लगा दी है। इससे संगठन को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यह संगठन अपनी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान की मदद लेता रहा है। खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान के प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसीपी) ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के अग्रिम पंक्ति के संगठन जमात के साथ ही कुछ अन्य संगठनों पर भी रोक लगाई है।

जानकारी के लिए आपको बता दें इन संगठनों के नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल किये गए हैं। आयोग द्वारा जारी किये गए अधिसूचना में कहा गया है कि जिन-जिन संगठनों पर प्रतिबन्ध लगाया गया है, वह जमात-उ-दावा, लश्कर, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, पासबां-ए-अहले-हदीस और पासबां-ए-कश्मीर शामिल हैं। आयोग ने अपने अधिसूचना में आगे चेतवानी दी है कि जो भी इस नियम का पालन नहीं करेगा, उसके ऊपर भारु जुर्माना लगाया जायेगा। आपको बता दें सरकार की तरफ से 1 करोड़ रूपये जुर्माने का प्रावधान है।

केवल यही नहीं पाकिस्तान सरकार हाफिज़ सईद के सामाजिक सेवा के संगठन की संपत्तियों को कब्जे में लेने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। जानकारी के अनुसार पाकिस्तान सरकार अमेरिका के दबाव में यह कार्यवाई कर रही है। अमेरिकी अधिकारीयों के हवाले से मिली सूचना के अनुसार पाकिस्तानी सरकार ने 19 दिसंबर को केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए गोपनीय पत्र लिखा गया था। गोपनीय पत्र में वित्त मंत्रालय ने सरकारी एजेंसियों और पांच प्रांतों की सरकारों को सईद के संगठनों जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर कब्जे की कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया था।

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