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अमेरिकी टीवी टीम हैरान, छत्तीसगढ़ के सिरपुर में मिले एलियन के निशान!

इंसान हमेशा से यह जानना चाहता है कि क्या वह इस ब्रह्माण्ड में अकेला रहता है या पृथ्वी की तरह ही किसी अन्य ग्रह पर भी जीवन है। सदियों से वैज्ञानिक इस खोज में लगे हुए हैं कि पृथ्वी के अलावा कहीं और जीवन है या नहीं। हॉलीवुड की फिल्मों में ऐसे अनजाने ग्रहों पर पाए जाने वाले जीवों के बारे में बहुत दिखाया जाता है, जहां एलियन पाए जाते हैं, दूसरे ग्रह के निवासियों को हम एलियन कहते हैं। अक्सर फिल्मों में यह दिखाया जाता है कि किसी और ग्रह पर पाया जाने वाला जीव पृथ्वी पर आता है और यहां अपना कब्जा जमाना चाहता है।

भारत में रहते थे एलियन:

यह एक कल्पना मात्र है कि एलियन होते हैं या इसमें कुछ सच्चाई है, यह कहना बहुत मुश्किल है। लेकिन अभी हाल ही में एलियन्स के होने के सबूत मिले हैं। जी हां एलियन कहीं और नहीं बल्कि हमारे साथ इसी पृथ्वी पर रहते थे। आपको जानकर काफी हैरानी होगी कि एलियन्स कहीं और नहीं बल्कि हमारे साथ हमारे ही देश भारत में रहते थे। मुझे पता है, यह जानकर आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन यह बिल्कुल सच है।

सिरपुर में मिलने वाले निशान हैं एलियन के:

दरअसल अमेरिका की “एंशियंट एलियन” टीम के सदस्य कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ पहुंचे। छत्तीसगढ़ के सिरपुर में उन्होंने यह दावा किया कि यहां मिलने वाले निशान किसी और के नहीं बल्कि एलियन के हैं। आपको बता दें कि पुरातत्वविद और पुरातत्व विभाग के सलाहकार पद्मश्री डॉ. अरुण शर्मा के नेतृत्व में अमेरिकी टीम ने पूरे इलाके की शूटिंग की। कुछ दिनों पहले इनकी निगरानी में सिरपुर में खुदाई भी की गयी थी। डॉ. ने बताया कि टीम ने पूरे क्षेत्र की शूटिंग की उसके बाद टीम सोमवार को रवाना हो गयी।

2600 साल पहले बनाया था सिरपुर के कलाकारों ने:

उन्होंने बताया कि सिरपुर में हुई खुदाई में करीब 2600 साल पुरानी पकाई हुई मिट्टी के कुछ पुतले मिले हैं। ये सामान्य पुतले नहीं हैं, इनमें से कुछ पक्षिमी देशों में प्राप्त एलियंस के नाम से प्रसिद्ध मूर्तियों के समान ही हैं। इन मूर्तियों को आज से लगभग 2600 साल पहले सिरपुर के कलाकारों ने बनाया था। उन्होंने यह भी बताया कि जब विदेश के वैज्ञानिक भारत आये तो उन्हें ये मूर्तियां दिखाई गयीं और वे इसे देखकर आश्चर्यचकित हो गए। ऐसे में यह चर्चा फिर से शुरू हो गयी है कि बहुत साल पहले हमारे बीच धरती पर एलियन रहते थे लेकिन अब वे कहां लुप्त हो गए हैं, इसकी जानकारी किसी को नहीं है।

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