अध्यात्म

लाभ ही लाभ: क्या आपने कभी सोचा कि हमारे पूर्वज ज़मीन पर बैठकर भोजन करना क्यों पसंद करते थे?

भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में आराम से भोजन करने का भी लोगों को वक़्त नहीं मिलता है. समय के अभाव में लोग खड़े-खड़े या फिर डाइनिंग टेबल पर बैठकर जल्दी-जल्दी खाना निपटा लेते हैं. खैर, आज हम भले ही डाइनिंग टेबल पर बैठकर भोजन करना पसंद करते हैं. मगर एक समय था, जब लोग ज़मीन पर बैठकर ही भोजन करना पसंद करते थे. हालांकि आज भी आपको कई ऐसे पुराने विचार के लोग या ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग मिल जाएंगे जो जमीन पर बैठकर ही भोजन करते हैं. ऐसा नहीं है कि उनके पास डाइनिंग टेबल नहीं होगा या फिर सामर्थ्य नहीं रहा होगा. दरअसल, इसके पीछे उनकी पौराणिक और हिंदू धर्म की आस्था जुड़ी हुई है.

 

ऋषि-मुनि भी आसन बिछाकर करते थे भोजन:

दरअसल हिन्दू धर्म के मुताबिक ‘भोजन को जिस तरीके और भावना के साथ ग्रहण किया जाता है, उसका फल वैसा ही प्राप्त होता है’. आप भले ही मेरी बातों का विश्वास न करें, मगर प्राचीनकाल या फिर वैदिक काल में भी ऋषि-मुनि ज़मीन पर आसन बिछाकर और उस पर पालथी मारकर बैठकर भोजन करना ही उत्तम माना करते थे. आखिर कोई न कोई वजह तो होगी, तभी तो हमारे पूर्वज और ऋषि-मुनि को इस तरीके से भोजन करना ही प्रिय था. हालांकि एक बात हमें याद रखनी होगी कि जब प्राचीनकाल या वैदिक काल में हर तरह के लकड़ी के निर्माण किए गए थे, तो क्या डाइनिंग टेबल नहीं बनाई जा सकती थी? सोचने वाली बात है.

ज़मीन पर पालथी मारकर भोजन करना है स्वास्थ्यप्रद:

दरअसल, ऋषि-मुनियों के मुताबिक, ज़मीन पर पालथी मारकर भोजन करना स्वास्थ्यप्रद माना जाता है. इस तरह से भोजन ग्रहण करने से पाचन क्रिया अच्छी रहती है और पेट से संबंधित बीमारियां नहीं होती.

इतना ही नहीं प्राचीनकाल में भोजन करने की दिशा भी निर्धारित थी. ऐसा कहा जाता है कि हाथ-पैर, मुंह धोकर आसन पर पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से यश एवं आयु बढ़ती है. खड़े-खड़े, जूते पहनकर या सिर ढंककर भोजन नहीं करना चाहिए. साथ ही यह भी कहा गया है कि भोजन के समय मौन रहना चाहिए.

इसके वैज्ञानिक तर्क भी हैं:

स्वास्थ्य विज्ञान के मुताबिक, ज़मीन पर पालथी लगाकर बैठने को योग में सुखासन कहते हैं और इस आसन में भोजन करने से पेट में भोजन का पाचन सही से होता है और पेट की बीमारियां भी दूर रहती हैं. इसके अलावा, इस तरीके से भोजन करने से खून का संचालन भी सही रहता है और सभी अंगों में ब्लड सर्कुलेशन सही होता है. वहीं कुर्सी पर बैठकर खाना खाने से ब्लड सर्कुलेशन पर विपरित असर पड़ता है.

इस तरीके से लोगों की उम्र लंबी होती है:

यही कारण है कि अगर आज भी आप अपने गांवों में लोगों को सौ वर्ष जीते हुए देखते हैं, तो उसकी एक मुख्य वजह ये भी होगी. ऐसा माना जाता है कि जो लोग ज़मीन पर बैठकर परंपरागत तरीके से भोजन करते हैं उनकी आयु काफी लंबी होती है. उन्हें पेट से संबंधित बीमारियों की शिकायत बहुत कम होती है.

इसलिए दोस्तों, इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कम से कम भोजन के लिए अच्छे से समय निकाल लो और ज़मीन पर बैठकर अच्छे से भोजन करने की प्रवृत्ति अपनाओ.

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