अध्यात्म

देश के इस अनोखे मंदिर में झाड़ू चढ़ाने से होता है चरम रोग दूर!

भारत एक ऐसा देश है, जो अपनी विशेष संस्कृति की वजह से पूरी दुनियाँ में जाना जाता है। यहाँ देश के कोने-कोने में ऐसे-ऐसे काम किये जाते हैं, जो केवल यहीं देखे जा सकते है। देश के हर हिस्से की अपनी एक अलग मान्यता है। आप तो जानते ही हैं कि भारत में धर्म को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यहाँ पर इतनी संख्या में मंदिर हैं कि उन्हें गिन पाना लगभग मुश्किल है। अगर इस देश को मंदिरों का देश कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। यहाँ के हर गली में एक मंदिर देखने को मिल जाता है।

हर मंदिर में अलग ढंग से होती है पूजा:

भारत में तो कुछ ऐसे मंदिर हैं, जहाँ एक ही भगवान की अलग-अलग मंदिर में अलग-अलग ढंग से पूजा की जाती है। आपने अक्सर भगवान को पूजा के समय फूल-माला, प्रसाद, कीमती वस्तु चढ़ाते हुए देखा होगा। लेकिन आपने किसी मंदिर में भगवान को झाड़ू अर्पित करते हुए नहीं देखा होगा। आज हम आपको भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ भगवान को खुश करने के लिए उन्हें झाड़ू चढ़ाई जाती है।

पूजा करने के लिए लगी रहती है भक्तों की लाइन:

दरअसल हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के बिहाजोई गाँव का पुराना पातालेश्वर शिव मंदिर है। यहाँ पर भगवान शंकर की पूजा करने के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है। आपको बता दें यहाँ जो भी भक्त पूजा करने आता है वह अपने साथ दूध, जल, फल, बेलपत्र,धतूरे के साथ-साथ सीकों वाली झाड़ू भी लता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस मंदिर में पूजा के समय झाड़ू अर्पित करता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। झाड़ू अर्पित करने से भगवान शंकर काफी खुश होते हैं और भक्त को चर्मरोग से मुक्ति मिल जाती है।

150 साल पहले बना था मंदिर:

आपको जानकर काफी हैरानी होगी कि यह मंदिर लगभग 150 साल पुराना है और यह पुरे क्षेत्र में चर्चित है। मंदिर में झाड़ू चढ़ाने के पीछे एक कहानी है। ऐसा कहा जाता है कि बहुत समय पहले इसी गाँव में भिखारी दास नाम का एक बहुत अमीर व्यापारी रहता था। उसे त्वचा सम्बन्धी रोग था। वह इसके इलाज के लिए कही जा रहा था। अचानक से रास्ते में उसे बड़ी जोर से प्यास लगी। उसे बीच में एक आश्रम दिखाई दिया, वह आश्रम में पानी की तलाश में आया।

झाड़ू के स्पर्श में आने से ठीक हो जाता है चर्मरोग:

वहाँ पर एक महंत झाड़ू लगा रहे थे। वह गलती से उनसे टकरा जाता है। झाड़ू के स्पर्श से उसका चर्मरोग बिलकुल ठीक हो जाता है। प्रसन्न होकर व्यापारी ने महंत को मंदिर बनवाने के लिए पैसे दे दिए। लेकिन महंत ने धन लेने से इनकार कर दिया। कुछ दिनों के बाद व्यापारी ने खुद ही आश्रम के नजदीक एक शिव मंदिर बनवा दिया। तभी से ऐसा माना जा रहा है कि इस मंदिर में जो भी झाड़ू चढ़ाएगा, उसका चर्मरोग ठीक हो जायेगा।

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