राजनीति

सुप्रीम कोर्ट ने दिखाया मोदी विरोधियों को आईना , कहा किस कानून में लिखा है कि बजट पहले नहीं पेश किया जा सकता?

देश में वित्तीय सुधार के लिये मोदी सरकार कई बड़े और अहम् कदम उठा रही है, उनमें से एक है आम बजट का हर बार से एक महीने पहले पेश किया जाना.

मोदी सरकार वित्तीय वर्ष का बजट एक महीने पहले ही पेश करना चाहती है :

दरअसल मोदी सरकार अगले वित्तीय वर्ष का बजट एक महीने पहले ही पेश करना चाहती है. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि एक महीने पहले बजट पेश करने पर क्रियान्वयन के स्तर पर आने वाली समस्यायों पर विचार करने और उनका समाधान करने के लिये अतिरिक्त समय मिल पायेगा. और बजट पर अच्छे बहस हो सकेगी.

मोदी सरकार के इस निर्णय को भी यूपी चुनाव के नजरिये से देखा जा रहा है, माना जा रहा है कि 5 विधानसभा चुनावों में बीजेपी को बजट पेश करने का फायदा मिलेगा क्योंकि बजट पेश किये जाने की तिथि और चुनाव शुरू होने के तिथि में बहुत ज्यादा दिनों का फर्क नहीं है.

एक वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसका विरोध किया था. लेकिन चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने याचिकाकर्ता से सवाल पूछा है कि एक महीना पहले बजट पेश करके सरकार कौनसे कानून का उल्लंघन कर रही है.

जस्टिस खेहर ने याचिकाकर्ता वकील से पूछा कि यह संविधान के कौन से प्रावधान का उल्लंघन है? आप इस बारे में तमाम तैयारी कर कोर्ट को बताएं. अगर हमें कोई ग्राउंड मिलता तो नोटिस जारी कर सकते थे. फ़िलहाल चीफ जस्टिस ने सुनवाई टाल दी है और 20 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई होगी. जस्टिस खेहर ने याचिकाकर्ता से पूछे सवालों का जवाब लाने को कहा है.

याचिका करने वाले वकील ने इसपर तर्क दिया है कि आम तौर पर नये वित्तीय सत्र में होता होता, और इसबार 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है, जबकि उसके कुछ ही दिन बाद 5 राज्यों में विधान सभा चुनाव होंगे इसलिये 1 फरवरी को बजट पेश होने से रोका जाये.

Back to top button