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जानिये नोटबंदी के बाद अचानक कैसे रुक गई कश्मीर में पत्थरबाजी!

नोटबंदी के बाद जम्मू कश्मीर में सेना और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी बंद हो गई, 8 नवम्बर के बाद से दुबारा वहां पर पत्थरबाजी नहीं हुई. ऐसा इस लिये हुआ क्योंकि जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी एक पेशा बनने लगा था जो कि नोटबंदी से बुरी तरह प्रभावित हुआ.

कश्मीर में पत्थरबाजी का दाम भी फिक्स है :

दरसल कश्मीर में बेरोजगारी और अशिक्षा बहुत ज्यादा है, और युवाओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है ऐसे में अलगाववादी संगठन युवाओं क्रांति और पैसों का चार्म दिखाकर उनसे पत्थरबाजी कराते हैं. कश्मीर में पत्थरबाजी का दाम भी फिक्स है. वहां सेना के जवानों पर पत्थर फेंकने के लिये 100 से 500 रूपये तक मिलते हैं, जबकि सैनिकों के हथियार चुराने पर हर हथियार के 500 रुपये है ग्रेनेड चुराने पर 1000 रूपये मिलते हैं.

कश्मीरी युवाओं को अलगाववादी नेता क्रांति के नाम पर पत्थरबाजी और सेना के हथियार चुराने का पाठ पढ़ाते हैं. और इसके लिये कश्मीरी युवाओं को हर रोज पैसे दिये जाते हैं यानी कि पत्थर फेंकों और पैसे लो.

Pttharbajon ban for notbandi

लेकिन अचानक ये सिलसिला रुक गया क्योंकि मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले ने पैसो की सप्लाई करने वाले अलगाववादियों की कमर तोड़ दी, क्योंकि इस काम में प्रयोग होने वाला पूरा धन हवाला कारोबार के माध्यम से आता था और पूरा का पूरा धन काला धन था. नोटों के बेअसर होते ही कश्मीर के युवा क्रन्तिकारी भी बेअसर हो गये.

सुरक्षा एजेंसियों की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरा पैसा पाकिस्तान से हवाला कारोबार के माध्यम से आ रहा था. कश्मीर में अशांति फ़ैलाने के लिये गैस सिलेंडर में पैसे भर के लाये जा रहे थे. लेकिन नोटबंदी के ऐलान से करोड़ों रुपये महज कागज के टुकड़े बनकर रह गये. अलगाववादियों को इस बात का अंदाजा भी नहीं था.

नोटबंदी के कारण पाकिस्तान से होने वाला हवाला कारोबार ठप हो गया, अलगाववादी गतिविधियाँ थम गयीं. और फ़िलहाल कश्मीर में शांति बहाल हो सकी. नोटबंदी के पीछे मोदी सरकार के उद्देश्यों में से एक उद्देश्य यह भी था. नोटबंदी ने पाकिस्तान में चल रही जाली नोट की कई प्रेस भी बंद करा दीं. साथ ही देश में कालेधन पर भी रोक लगी. और पत्थरबाजी पूरी तरह से बंद हो गई. जिसका सीधा निशाना भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के जवान थे.

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