राजनीति

नोटबंदी के बाद प्रधान मंत्री मोदी जी का पहला इंटरव्यू, पी एम् मोदी ने खोले पत्ते ..!

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद कल पहली बार इंटरव्‍यू दिया। इंडिया टुडे को दिए गए इंटरव्‍यू में पीएम ने नोटबंदी पर अपनी राय रखी। इंटरव्‍यू में पीएम ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विमुद्रीकरण एक गेमचेंजर था और अभी इस पर विशेषज्ञों का फैसला बाकी है। पीएम ने इस अभियान के 50 दिन पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी हो रही आलोचनाओं को नाकार दिया। इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि विमुद्रीकरण ने कालेधन को खुले में ला दिया है। PM Modi Interview on Demonetization. 

 

अर्थव्यवस्‍था को साफ करने के ‌लिए लिया फैसला –

PM Modi Interview on Demonetization

पीएम ने कहा कि नोटबंदी लागू करने का फैसला कठिन था, लेकिन अर्थव्यवस्‍था में सुधार के लिए जरूरी था। हमने यह कदम कालेधन, भ्रष्‍टाचार, आतंकवाद और माओवादियों पर लगाम लगाने के लिए उठाया। हमने यह फैसला छोटे समय के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय के लिए लिया है। भ्रष्‍टाचार को राजनीति से जोड़ना खतरनाक जाल बन गया है जिससे दोषियों को छिपने का मौका मिल जाता है। 1.25 करोड़ देशवासियों ने कठिनाइयों के बावजूद इसके प्रभाव और महत्‍व को समझते हुए इस फैसले का स्‍वागत और समर्थन किया है।

 

नीति-रणनीति को एक टोकरी में न रखें –

PM Modi Interview on Demonetization

आगे बोलते हुए पीएम ने कहा कि, आपको नीति और रणनीति में फर्क करना होगा, आप उन्‍हें एक नज़र से नहीं देख सकते। नोटबंदी का फैसला हमारी नीति दिखाता है। हमारी रणनीति को बाकियों से अलग होना ही था, पुरानी कहावत के जैसे – तू डाल-डाल, मैं पात-पातताकि दुश्‍मन से एक कदम आगे रहा जा सके। पीएम मोदी ने कहा कि नीति और रणनीति में फर्क करने में सक्षम होना पड़ेगा। दोनों को एक ही टोकरी में न डालें। संक्षेप में ये पुरानी कहावत को चरितार्थ करता है तू डाल-डाल, मैं पात-पात।

 

हमेशा चुनावी मोड में रहता है देश –

PM Modi Interview on Demonetization

मोदी ने कहा कि मैं नोटबंदी पर दोनों सदनों में बोलना चाहता था, लेकिन कांग्रेस ने बहस की जगह सदन की कार्यवाही को बाधित करने के प्रयास किए। पीएम ने यह भी कहा कि बार-बार होने वाले चुनाव न केवल हमारी मौजूदा व्यवस्था बल्कि राजनीतिक खर्च भी बढ़ाते हैं जिससे हमारी अर्थव्यवस्था पर भी चोट पहुंचाती है। इससे देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है। हमें लगातार होने वाले चुनावों को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। मैं चुनाव आयोग द्वारा संसद और विधानसभा के चुनाव साथ कराने की कोशिशों की तारीफ करता हूं।

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