बिज्ञान और तकनीक

तीन माता पिता को मान्यता देने वाला पहला देश बना ब्रिटेन! बच्चे के तीन माता पिता होंगे.

ब्रिटेन की ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रायोलॉजी ऑथोरिटी यानी कि प्रजनन नियामक प्राधिकरण ने एक ऐसा फैसला लिया है जो हमारी पीढियां बदल सकता है. फैसले के तहत अब एक विशेष तकनीकि से पैदा होने वाले बच्चों के तीन माता-पिता होंगे. मतलब एक बच्चे के तीन माता पिता होंगे.

हमारी पीढियां बदल सकता है

3 parent technique britain

कुछ समय पहले ब्रिटेन में एक तकनीकि की खोज हुई थी जिसके माध्यम से अगर किसी माँ को कोई अनुवांशिक बीमारी है तो गर्भावस्था के दौरान उस बीमारी को भ्रूण में जाने से रोका जा सकता है, ऐसा माँ के डीएनए में बदलाव करके किया जा सकता है. ब्रिटेन के प्रजनन नियामक प्राधिकरण ने इस साल तीन लोगों को इस तकनीकि का प्रयोग करने की अनुमति दी है, इस तकनीकि से पैदा होने वाले बच्चे का जन्म अगले साल होगा, वो बच्चा दो महिलाओं और एक पुरुष से मिलकर बनेगा. पैदा होने वाले बच्चे में तीन माता पिता का डीएनए होगा. ऐसे में सबसे बड़ा विवाद ये था कि बच्चे का असली माता पिता किसे माना जायेगा. ब्रिटेन में इस तकनीकि से पैदा होने वाले बच्चों को वैधानिक मान्यता तो मिल गई है लेकिन इस तकनीकि का प्रयोग करने से पहले मरीज और क्लीनिक दोनों को प्राधिकरण की अनुमति लेनी होगी.

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वैसे तो यह एक बेहद वैज्ञानिक और परिवर्तन लाने वाली तकनीकि है लेकिन शोध के बाद से ही यह तकनीकि विवादों में घिरी हुई है. वैज्ञानिकों के एक वर्ग का मानना है कि इस तरह डीएनए में बदलाव करना प्रकृति के खिलाफ जाना होगा और प्रकृति के खिलाफ जाने पर इसके क्या दूरगामी परिणाम होंगे अभी उसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिकों का एक वर्ग ऐसा भी है जो इसे बेहद क्रन्तिकारी तकनीकि मान रहा है, कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि इससे हम आने वाली पीढ़ी को बड़े और जानलेवा अनुवांशिक खतरों से बचा पायेंगे.

कैसे संभव होगी यह तकनीक?

असल में हमारी कोशिका में दो तरह के डीएनए होते हैं एक नाभिक के अन्दर और दूसरा माइटोकांड्रिया के अन्दर. बच्चे में माइटोकांड्रिअल डीएनए माँ की कोशिका से आता है. माइटोकांड्रिअल डीएनए से अनुवांशिक बीमारी भी आती हैं जिनका अभी तक उपचार नहीं ढूँढा जा सका है, ऐसे में वैज्ञानिकों ने एक उपाय निकाला है कि जिस माँ को अनुवांशिक बीमारी हो उसका माइटोकांड्रिअल डीएनए बदल दिया जाये, यानी की कोशिका में बदलाव कर दिया जाये और इस तरह से समस्या का समाधान हो जायेगा.

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